ब्रिटेन जाने वाले भारतीयों की मुश्किलें बढ़ने वाली है। छह महीने की अवधि के लिए ब्रिटेन का वीजा चाहने वाले लोगों को अब टीबी (ट्यूबरकुलोसिस) की जांच कराना आवश्यक होगा। दरअसल टीबीरोगियों के लिहाज से भारत समेत 66 देशों को उच्च जोखिम वाली इस श्रेणी में रखा गया है।
ब्रिटेन के गृह मंत्रालय ने सोमवार को यह घोषणा की। इसके मुताबिक टीबी की जांच और उसके बाद उपचार में आने वाला खर्च भी आवेदकों से ही वसूल किया जाएगा। देशों में यह टीबी स्क्रीनिंग कार्यक्रम जुलाई से अगले 18 महीनों में शुरू हो जाएगा। गौरतलब है कि फिलहाल यह जांच ब्रिटिश एयरपोर्ट पर की जाती है। इस नई प्रक्रिया के शुरू होते ही एयरपोर्ट पर जांच बंद कर दी जाएगी। ऐसे में 40 मिलियन पाउंड बचने की उम्मीद है।
आंकड़े बताते हैं कि 2011 में ब्रिटेन में टीबी के 9000 नए मामले सामने आए। 2010 की तुलना में इसमें पांच प्रतिशत की वृद्घि हुई है। गृह मंत्रालय के मुताबिक, ‘एक रिसर्च में सामने आया कि गैर ब्रिटिश लोगों में टीबी की आशंका ब्रिटिश नागरिकों की तुलना में 20 गुना अधिक है। सभी नए टीबीरोगियों की तीन तिमाहियों में की गई जांच के बाद यह तथ्य सामने आया। इसलिए प्रवासियों को इस कार्यक्रम के केंद्र में रखा गया।’
प्रवासी मामलों के मंत्री डेमियन ग्रीन ने बताया कि पिछले 30 वर्षों में इस समय ब्रिटेन में ट्यूबरकुलोसिस से ग्रसित लोगों की संख्या सबसे अधिक है। उन्होंने कहा कि प्री-एंट्री स्क्रीनिंग यानी आने से पहले ही जांच और जरूरत पड़ने पर इलाज की प्रक्रिया अपनाकर ब्रिटेन में टीबी के बढ़ते खतरे को कम किया जा सकेगा। इससे कई जिंदगियां भी बच जाएंगी।
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