चीनी सैनिकों के घुसपैठ से पैदा हुई स्थिति का समाधान करने के लिए भारत और चीन एक-दूसरे के संपर्क में हैं. चीनी सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी सेक्टर में भारतीय क्षेत्र में घुसकर एक तंबू लगाकर चौकी स्थापित कर ली थी.सरकारी सूत्रों के अनुसार इस घटना के कुछ दिनों पहले प्रकाश में आने के बाद भारत ने इस मुद्दे को उठाया. सूत्रों ने बताया, ‘यह वह क्षेत्र है जहां वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर अलग-अलग धारणा है. घटनाएं होती हैं और उसका समाधान द्विपक्षीय समझौतों और उसमें प्रदान तंत्र के आधार पर शांतिपूर्ण तरीके से कर लिया जाता है.’ उन्होंने कहा, ‘हम आश्वस्त हैं कि मौजूदा घटना का भी इसी आधार पर शांतिपूर्ण तरीके से समाधान कर लिया जाएगा.’
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की एक पलटन गत 15 अप्रैल की रात को भारतीय भूभाग में 10 किलोमीटर अंदर डीबीओ सेक्टर में बुर्थे में आई और वहां तंबू लगाकर एक चौकी स्थापित कर ली. डीबीओ सेक्टर तकरीबन 17000 फुट की ऊंचाई पर है. सूत्रों ने बताया कि एक चीनी पलटन में आम तौर पर करीब 50 लोग होते हैं.
सरकारी सूत्रों ने बताया कि दोनों पक्ष ‘भारत और चीन’ मौजूदा घटना को लेकर एक-दूसरे के संपर्क में है और भारत-चीन सीमा मामलों पर विमर्श और समन्वय के लिए कार्यकारी तंत्र का लाभ उठा रहे हैं. तंत्र का नेतृत्व भारत की ओर से विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव ‘पूर्व एशिया’ जबकि चीन की ओर से चीनी विदेश मंत्रालय के सीमा मामलों के महानिदेशक कर रहे हैं. इस तंत्र को पूर्व चीनी प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ ने पेश किया था. इस तंत्र को सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधि स्तर की 15 वीं बैठक के पिछले साल समापन पर अंतिम रूप दिया गया था. इस बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन और चीनी राज्य पार्षद दाई बिंगुओ ने किया था.
तंत्र के तहत ‘दोनों पक्ष अन्य कार्य हाथ में लेंगे जिसपर दोनों पक्ष आपस में सहमत हों लेकिन सीमा विवाद या विशेष प्रतिनिधि तंत्र को प्रभावित करने वाले मुद्दे पर चर्चा नहीं करेंगे.’
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