एक ओर पति भगवान चित्रगुप्त की और तो दूसरी ओर पत्नी जी ने भैयादूज की पूजा अदा की - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

बुधवार, 6 नवंबर 2013

demo-image

एक ओर पति भगवान चित्रगुप्त की और तो दूसरी ओर पत्नी जी ने भैयादूज की पूजा अदा की

Photo-0015
दानापुर। यह बहुत ही कम देखने को मिलता है। एक ही छत पर दो तरह की पूजा की गयी। एक ओर पति भगवान चित्रगुप्त की और तो दूसरी ओर पत्नी जी ने भैयादूज की पूजा अदा की। गैर सरकारी संस्था प्रगति ग्रामीण विकास समिति के मुख्य लेखापाल संजय कुमार सिन्हा के खगौल स्थित आवास पर भगवान चित्रगुप्त की पूजा की गयी। धार्मिक अनुष्ठान अर्पित करने वाले पुजारी को 501 रू0 की राशि दी गयी। एक घंटे तक चली पूजा में परिवार और उनके शुभचिंतक उपस्थित रहे। लेखापाल संजय कुमार सिन्हा ने कहा कि आय-व्यय लिखकर भगवान चित्रगुप्त को समर्पित कर दिया गया। आज मध्यरात्रि के बाद कलम-दवात का उपयोग कर सकेंगे। इस अवसर पर मंजू डुंगडुंग, सन्नी कुमार, श्री महापात्रों आदि उपस्थित थे। प्रसाद प्राप्त किये और प्रीतिभोज ग्रहण किये।

समृद्ध संस्कृति और परम्पराओं के लिए भारत की विश्व में अपनी विशष्ट पहचान:

Photo-0018
समृद्ध संस्कृति और परम्पराओं के लिए भारत की विश्व में अपनी विशष्ट पहचान है। पूरे वर्ष यहां कोई न कोई पर्व,त्योहार मनाया जाता रहता है लेकिन चित्रगुप्त पूजा, संभवतः एक ऐसा त्योहार है, जिसे एक जाति विशेष के लोग ही मनाते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कायस्थ जाति को उत्पन्न करने वाले भगवान चित्रगुप्त का जन्म यम द्वितीय के दिन हुआ। इसी दिन कायस्थ जाति के लोग अपने घरों में भगवान चित्रगुप्त की पूजा करते हैं। उन्हें मानने वाले इस दिन कलम और दवात का इस्तेमाल नहीं करते हैं। पूजा के आखिर में वे संपूर्ण आय-व्यय का हिसाब लिखकर भगवान को समर्पित करते हैं। चित्रगुप्त का जन्म यम द्वितीय के दिन हुआ, इसका कोई निश्चित प्रमाण नहीं है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सृष्टि रचयिता भगवान ब्रह्मा ने एक बार सूर्य के समान अपने ज्येष्ठ पुत्र को बुलाकर कहा कि वह किसी विशेष प्रयोजन से समाधिस्थ हो रहे हैं और इस दौरान वह यज्ञपूर्वक सृष्टि की रक्षा करें। इसके बाद ब्रह्माजी ने 11 हजार 100 वर्ष की समाधि ले ली। जब उनकी समाधि टूटी तो उन्होंने देखा कि उनके सामने एक दिव्य पुरूष, कलम-दवात लिए खड़ा है। उन्हें धर्मराज में यमराज के पाप-पुण्य का लेखाजोखा करने वाले नियुक्त कर दिया। भगवान के काया से निकले कायस्त और पृथ्वी पर चित्रगुप्त कहलाएं। चित्रगुप्त के 12 संतान हुए। 



आलोक कुमार
बिहार 




कोई टिप्पणी नहीं:

undefined

संपर्क फ़ॉर्म

नाम

ईमेल *

संदेश *