आम आदमी को कई औपचारिकताएं पूरी करने के बाद भी मामूली रकम का लोन मुश्किल से ही मिलता है और कुछ हजार रुपये का लोन न चुका पाने के कारण मजदूर और किसान आत्महत्या कर लेते हैं, लेकिन कॉर्पोरेट सेक्टर देश में 7.25 लाख करोड़ रुपये का लोन चुका नहीं रहा और उसमें से एक बड़ा हिस्सा न चुकाकर हजम कर गया है। सरकार यह जांच तक नहीं कर रही कि इसके लिए कौन दोषी है।
महाराष्ट्र स्टेट बैंक एंप्लॉयीज फेडरेशन (MSBEF) के महासचिव विश्वास उत्गी के अनुसार, इतने सारे लोन का न चुकाने का कारण बैंक के टॉप ऑफिसर्स, कॉर्पोरेट सेक्टर और पॉलिटिशंस का इस गोरखधंधे में शामिल होना है। उन्होंने इस कार्टेल की जांच कराने और दोषियों को सजा देने की मांग की है। इसके लिए देशभर में गुरुवार को 'ऑल इंडिया डे' मनाने की घोषणा की गई है। फेडरेशन का कहना है कि सरकार को नए बैंक लाइसेंस जारी नहीं करने चाहिए, क्योंकि इनमें से अधिकांश के आवेदन इन्हीं डिफाल्टरों ने किए हैं। फेडरेशन ने इस मामले में उन 5000 बॉरोअर्स की जानकारी छापी है, जिन्होंने 1 करोड़ रुपये से ऊपर का लोन नहीं चुकाया है।
फेडरेशन का कहना है कि सरकार को नए बैंक लाइसेंस जारी नहीं करने चाहिए। क्योंकि, इनमें से अधिकांश के आवेदन इन्हीं डिफॉल्टरों ने किए हैं। फेडरेशन ने इस मामले में उन 5000 बॉरोअर्स की जानकारी छापी है, जिन्होंने 1 करोड़ रुपए से ऊपर का लोन नहीं चुकाया है।
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