इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गंगा एक्सप्रेस वे परियोजना पर रोक लगा दी है, गंगा महासभा और विंध्य इंवायरमेंटल सोसाइटी की तरफ से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायामूर्ति अशोक भूषण और अरुण टंडन ने यह आदेश पारित किया।
न्यायालय ने अपने आदेश में इस मायावती सरकार की सबसे महत्वकांक्षी परियोजना के निर्माण के लिए स्टेट लेवल इनवायरमेंट इम्पैक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी की मंजूरी की रिपोर्ट को खारिज कर दिया। राज्य सरकार द्वारा गठित इस कमेटी ने गत जुलाई 2007 को परियोजना को अपनी मंजूरी दी थी। न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि एक्सप्रेस वे के निर्माण में राज्य सरकार फिर से इस कमेटी की स्वीकृति ले।
याचिकाकर्ता राहुल मिश्रा ने कहा कि नोएडा से बलिया को जोड़ने वाली गंगा एक्सप्रेसवे परियोजना के निर्माण में प्रदेश सरकार ने पर्यावरण के नियमों की अनदेखी की। याचिका में परियोजना के निर्माण के लिए स्टेट लेबल इनवायरमेंट इम्पैक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी की तरफ से दी गई स्वीकृति पर भी सवाल उठाए गए।
राज्य सरकार ने स्टेट लेवल इनवायरमेंट इम्पैक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी का गठन केंद्र सरकार द्वारा 14 जुलाई 2006 को जारी अधिसूचना के निर्देशों के आधार पर किया था।
ज्ञात हो कि जनवरी 2008 में राज्य मंत्रिपरिषद ने 40,000 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले लगभग 1,000 किलोमीटर लंबे गंगा एक्सप्रेसवे परियोजना को मंजूरी दी थी। नोएडा से बलिया को जोड़ने वाला यह एक्सप्रेसवे गंगा बेसिन के किनारे-किनारे राज्य के 19 जिलों से होकर गुजरेगा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें