पाकिस्तानी राष्ट्रपति के साथ आतंकवाद के मुद्दे पर दो टूक बात करने के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है वो पाकिस्तान के साथ शांति के पक्ष में है लेकिन इसके लिये इस्लामाबाद को भारत के खिलाफ सक्रिय संगठनों के खिलाफ वैसी ही कार्यवाही करनी पड़ेगी जैसी उसने तालिबान के खिलाफ स्वात घाटी में की है।
भारतीय और पाकिस्तानी नेताओं की मुलाकात कल रूस के येकतरिनबर्ग शहर में हुई थी। प्रधानमंत्री ने आज रूस से लौटते वक्त संवाददाताओं से बात करते हुये कहा कि यदि पाकिस्तान 'शांति हासिल करने के लिये जरूरी साहस, निश्चय और बड़प्पन दिखाता है तो भारत इसके लिये एक कदम आगे बढ़कर पाकिस्तान से मिलने के लिये तैयार है'.
डॉ। मनमोहन सिंह ने कहा कि पाकिस्तानी राष्ट्रपति ने उन्हें भरोसा दिलाया कि वो ईमानदारी से आतंकवाद के खिलाफ लड़ना चाहते हैं और इस काम में उनकी सरकार को आ रही मुश्किलों का जिक्र करते हुये 'कुछ और समय देने' की मांग की.
उन्होंने कहा, "मैं पहले भी कह चुका हूं कि इस उप महाद्वीप और इसके निवासियों का भला शांतिपूर्ण सहयोग में ही है। इसके लिये हमें पाकिस्तान के साथ एक बार फिर शांति की पहल करनी चाहिये. लेकिन पाकिस्तान को शांति के दुश्मनों के खिलाफ कठोर और प्रभावी कदम उठाने होंगे."
पिछले साल नवंबर में मुंबई पर हुये आतंकवादी हमले के बाद दोनों देशों के शीर्ष नेताओं की पहली बैठक कल रूस में हुई थी और जिसमें अन्य बातों के अलावा दोनों देश विदेश सचिवों की एक और बैठक के लिये राजी हो गये हैं। हालांकि भारत ने स्पष्ट किया था कि इसे समग्र वार्ता की शुरुआत नहीं माना जा सकता है लेकिन विदेश सचिवों की बैठक में आतंकवाद के अलावा अन्य मुद्दों पर भी बात होने की संभावना है.
सोमवार, 22 जून 2009
पकिस्तान को गले लगाने को तैयार भारत.
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