आमतौर पर व्यंजन को तीखा और लजीज बनाने में जैसी बीमारियों की रोकथाम में कारगर है।
ब्रिटिश न्यूट्रिशन फाउंडेशन के बिग्रेट बेनेलम के मुताबिक संतरा व अन्य रसदार (साइट्रस) फलों के मुकाबले लाल मिर्च में विटामिन सी की तिगुनी मात्रा पाई जाती है। हरी मिर्च जब पक जाती है तो लाल हो जाती है। इसमें हरी मिर्च की तुलना में दोगुना विटामिन सी व दस गुना विटामिन ए पाया जाता है। इसके अलावा इसमें प्लांट केमिकल लाइकोपीन, बीटा-कैरोटिन व जीजेंथिन जैसे वर्णक (पिग्मैंट) पाए जाते हैं। इसमें फोलिक एसिड, पोटैशियम व लौह तत्व भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
लाल मिर्च में प्रचुर मात्रा में मौजूद बीटा-कैरोटिन व लाइकोपीन नामक रसायन कैंसर की रोकथाम में मददगार होते हैं। लंदन के शोधकर्ताओं ने लाइकोपीन से भरपूर भोजन करने वाले 21 लोगों को अपने अध्ययन में शामिल किया। इनमें प्रोस्टेट कैंसर का खतरा 11-19 फीसदी कम पाया गया।
मैनचेस्टर के शोधकर्ताओं के मुताबिक लाल मिर्च में पाए जाने वाले विटामिन सी तथा बीटा-क्रिप्टोजेंथिन व बीटा-कैरोटिन नामक एंटी-आक्सीडेंट आर्थराइटिस की रोकथाम में मददगार होते हैं। आर्थराइटिस से पीड़ित व्यक्तियों द्वारा उपरोक्त यौगिक लेने पर बीमारी में 40 फीसदी की कमी देखी गई।
सरे यूनिवर्सिटी की शोधकर्ता डा. मार्गरेट रेमैन के मुताबिक इसमें प्रचुर मात्रा में बीटा-कैरोटिन होता है। इसी बीटा-कैरोटिन को हमारा शरीर विटामिन ए में बदल देता है। विटामिन ए प्रजनन तंत्र को मजबूत करने के साथ सेक्स हार्मोन (टेस्टोस्टेरान, प्रोजेस्ट्रान) के निर्माण में मददगार होता है।
कोलेस्ट्राल को हृदयरोगों की जड़ माना जा सकता है। लाल मिर्च में मौजूद वर्णक बीटा-कैरोटिन व लाइकोपीन कोलेस्ट्राल का स्तर 5।9 फीसदी तक कम करने में सहायक हैं। इसके अलावा ये वर्णक खराब कोलेस्ट्राल में 12.9 फीसदी की कमी कर देते हैं।
लाल मिर्च में विटामिन सी के अलावा पाए जाने वाले लाल व पीले वर्णक अंधापन रोकने में मददगार होते हैं। शोध के मुताबिक शिमला मिर्च खाने वालों में उम्रदराज होने पर आंखों की क्षति होने का खतरा भी काफी कम पाया गया।
यानि की अब मिर्ची को देख कर ना ना कहना बंद कर मिर्ची खाना शुरू करें।
साभार :- जागरण डाट कॉम
सोमवार, 6 जुलाई 2009
मिर्ची को ना नही आहा मिर्ची कहें!!
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