एक रिसर्च बताती है कि कामकाजी महिलाओं के बच्चे हाउसवाइव्स के बच्चों की तुलना में कम हेल्दी होते हैं। इससे बचने के लिए उन्हें बच्चो के लिए एक हेल्दी रुटीन बनाना चाहिए।
हाल ही में की गई एक रिसर्च के नतीजे बताते हैं कि वर्किंग मदर्स के बच्चे घर पर रहने वाली महिलाओं के बच्चों की तुलना में कम सेहतमंद होते हैं। इतना ही नहीं, ये बच्चे सुस्त होते हैं और स्कूल जाने के लिए ये स्कूल बस प्रिफर करते हैं। यूके में हुए इस शोध में वर्किंग मदर से उनके काम करने के घंटे, बच्चों की डाइट, एक्सरसाइज लेवल व उनके डेली रुटीन से जुड़े तमाम सवाल पूछे गए। इस रिसर्च में बच्चों से संबंधित हर छोटी-बड़ी बात जानने की कोशिश की गई। मसलन वे एक दिन में कितनी मिठाई, चिप्स, कोल्ड ड्रिंक्स, फल व सब्जियां खाते हैं, रोजाना उनका कितना वक्त टीवी व कंप्यूटर देखने में बीतता है, वे कितने घंटे फिजिकल ऐक्टिविटी करते हैं, स्कूल कैसे जाते हैं, वगैरह।
इन सवालों से मिले जवाबों से यह पता लगा कि जो महिलाएं फुल टाइम या पार्ट टाइम जॉब करती हैं, उनके बच्चे शुगर ड्रिंक्स काफी मात्रा में लेते हैं। यह अमाउंट हाउस वाइफ के बच्चों की तुलना में काफी ज्यादा रहती है। यह नहीं, ये बच्चे अपना ज्यादातर वक्त टीवी व कंप्यूटर के आगे बैठकर बिताते हैं। जवाबों के आकलन से यह भी पता लगा कि वर्किंग मदर्स अपने बच्चों को स्कूल छोड़ने के लिए वॉक करने या साइकल से भेजने के बजाय स्कूल बस को प्रिफरेंस देती हैं। इतना ही नहीं, रिसर्च यह भी बताती है कि जो महिलाएं फुल टाइम जॉब करती हैं, उनके बच्चों की डाइट में फल व सब्जियों की मात्रा बहुत कम रहती है और उन्हें दिन के तीनों वक्त पूरा पौष्टिक खाना नहीं मिल पाता है।
जनरल ऑफ एपिडेमॉलजी व कम्यूनिटी हेल्थ में प्रकाशित इस रिसर्च में का मतलब हालांकि यह कतई नहीं है कि महिलाओं को जॉब नहीं करनी चाहिए। लेकिन उन्हें अपने बच्चों की सेहत के लिए सही पॉलिसी व प्रोग्राम फॉलो करने चाहिए, ताकि उनके बच्चों को सही डाइट के साथ बढ़ने के लिए के हेल्दी एनवॉयरनमेंट भी मिले।
साभार : श्रोत
शनिवार, 14 नवंबर 2009
वर्किंग वूमन के बच्चे कम हेल्दी!!
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