ईरान में राष्ट्रपति चुनाव के दौरान मतगणना को लेकर उठे विवादों पर भारी विरोध प्रदर्शन हुए थे और उस समय इंटरनेट का व्यापक इस्तेमाल किया गया था। तब सरकार ने अधिकतर विपक्षी वेबसाइटों को प्रतिबंधित कर दिया था. इनमें से अधिकतर चुनाव में पराजित घोषित किए गए उम्मीदवारों के थे.
लेकिन राजनितिक के तौर पर सक्रिय सरकार विरोधी गुट लगातार नए वेबसाइट बनाते रहे हैं क्योंकि सरकारी मीडिया तक उनकी पहुँच नहीं है. कर्नल ओमिदी का कहना है, "इंटरनेट के विस्तार को देखते हुए अपराध के लिए इसके इस्तेमाल को भी रोकने की ज़रूरत है." इस इकाई में 12 लोग शामिल है. ईरानी विशेषज्ञों का कहना है कि इसका मूल मकसद विपक्ष की धार को कुंद करना है।
पत्रकार अकबर मोंतजाबी का कहना है, "अधिकारियों को पता है कि इंटरनेट उन कुछेक माध्यमों में से एक से है जिसके ज़रिए विपक्ष अपनी बात लोगों तक पहुँचा सकता है। वे विपक्षी आवाज़ को बंद करना चाहते हैं." इसी साल जून में हुए चुनावों के बाद दोबारा चुनाव कराने की माँग पर भारी विरोध प्रदर्शन हुए थे जिसमें 30 प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई थी.
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