पाकिस्तानी विशेषज्ञों ने दावा किया है कि जम्मू कश्मीर के सियाचीन इलाके में भारतीय सेना की उपिस्थित और ग्लोबल वार्मिंग के कारण बर्फ की झीलें पिघलती जा रही हैं, जिससे देश की खाद्यान सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न हो सकता है।
पाकिस्तान के मौसम विभाग के महानिदेशक डॉ। कमरूज जमान चौधरी ने `डॉन' समाचार पत्र से कहा कि हिमालय के ग्लेशियरों को पिघलने से रोकने के लिए भारत और पाकिस्तान को मिलकर कदम उठाने होंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि सियाचीन में भारतीय सेना की उपिस्थित से ग्लेशियरों को नुकसान पहुंच रहा है और वे बड़ी तेजी से पिघल रहे हैं।
चौधरी ने कहा कि पाकिस्तान की कृषि हिमालय के ग्लेशियरों पर निर्भर है और ग्लोबल वार्मिंग तथा भारतीय सेना की वजह से देश की खाद्यान सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हो सकता है। इस मसले पर पाकिस्तान के एक वरिष्ठ पर्यावरणिवद और शोधकर्ता अरशद एच अब्बासी ने कहा कि भारतीय सेना की उपिस्थित का यह सबसे नकारात्मक प्रभाव है।
उन्होंने आरोप लगाया कि सियाचीन में भारतीय सेना की गतिविधियों से वैश्विक जलवायु को खतरा उत्पन्न हो गया है। अब्बासी ने कहा कि जब जमीं हुई झीलें फट जाएंगी तो बड़ी तेजी से बर्फ पिघलने लगेगी। उन्होंने बताया कि आधा किलोमीटर में फैली यह बर्फ से जमी झील तेजी से कम हो रही है।
अब्बासी ने दावा किया कि पाकिस्तानी इलाके में ग्लेशियरों का पिघलना न केवल रुका हुआ है, बल्कि यह बढ़ भी रहे हैं। उन्होंने कहा कि हिमालई इलाके में बर्फ पिघलने के लिए केवल ग्लोबल वार्मिंग को दोष देना ठीक नहीं होगा। अब्बासी ने आरोप लगाया कि सियाचीन विवाद के कारण ही विश्व के अन्य स्थानों की अपेक्षा हिमालई क्षेत्र की बर्फ तेजी से पिघल रही है।
मंगलवार, 8 दिसंबर 2009
ग्लोबल वार्मिंग के कारण बर्फ की झीलें पिघल रही हैं !!
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1 टिप्पणी:
bahut achchi lagi yeh jaankaari....
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