साथ ही मुसाबनी में कंपनी की जमीन और मकान ओद देनदारियों के बदले राज्य सरकार के हवाले करने की पेशकश की। राज्य के प्रथम मुख्य सचिव वीएस दुबे ने एचसीएल के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया, लेकिन बाद में 2006 में सरकार ने एचसीएल के इस प्रस्ताव को मान लिया। 56।15 करोड़ की देनदारी के बदले उसके मकान और जमीन अधिगृहीत कर लिये। इस तरह एचसीएल ने झारखंड से अपना व्यापार समेट लिया। ग्लोबल टेंडर निकाल उसके बाद एचसीएल ने सरकार की सहमति के बिना ही तांबा अयस्क निकालने के लिए ग्लोबल टेंडर निकाला । इस टेंडर के आधार पर एचसीएल ने आस्ट्रेलिया की मोनार्क गोल्ड माइनिंग कंपनी लिमिटेड के साथ तांबा अयस्क निकालने का एकरारनामा किया। आस्ट्रेलिया की इस कंपनी ने एकरारनामा करने के बाद इसे मेसर्स इंडिया रिसोर्स लिमिटेड को सबलेट कर दिया। इस कंपनी ने नवंबर 2007 में मुसाबनी की सुरदा तांबा खदान से उत्पादन शुरू किया। वर्ष 2007-08 के दौरान कंपनी ने 402।151 मिट्रिक टन तांबा अयस्क का उत्पादन और डिस्पैच किया। इसकी कीमत 12।61 करोड़ रुपये है। एजी ने सरकार को भेजी रिपोर्ट प्रधान महालेखाकार कार्यालय ने अंकेक्षण के दौरान मामले को पकड़ा और सरकार को रिपोर्ट भेजी। रिपोर्ट में ’ मिनिरल कनसेशन रूल’ में निहित प्रावधानों के आलोक में इसे अवैध खनन करार दिया। इस में निहित प्रावधानों के तहत कोई लीज धारक सरकार की लिखित सहमति के बिना खनन के लिए किसी कंपनी ओद से किसी तरह का एकरारनामा नहीं कर सकता है और न ही उसे सबलेट कर सकता है ।
मधु कोड़ा के कार्यकाल में ऑस्ट्रेलिया की एक कंपनी ने सुरदा तांबा खदान से 12 करोड़ रुपये का अवैध खनन किया। सरकार ने इस खदान का खनन पट्टा हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (एचसीएल) को दिया था। लेकिन एचसीएल ने सरकार की अनुमति के बिना ही इस खदान को आस्ट्रेलिया की एक कंपनी को सबलेट कर दिया। प्रधान महालेखाकार ने मामले को पकड़े जाने पर सरकार से जवाब- तलब किया है। इससे खान विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। राज्य सरकार ने हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड को तांबा अयस्क के खनन के लिए 388.68 हेक्टेयर जमीन लीज पर दी थी। एचसीएल ने इस खदान को अलाभकारी करार देते हुए खनन कार्य बंद कर दिया ।
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IS MAHAT AUR VISTRIT JANKARI KE LIYE AABHAR....
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