वह इस बार सम्मन पाने वाले अकेले व्यक्ति है। आनंद कुमार भी गरीब परिवार से ताल्लुक रखते है तथा उन्होंने ने भी पैसे नही होने के कारण कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में बुलाने के बाद भी नही गए। पिता के असामयिक निधन के बाद उनकी मां को पापड तक बेलने पडे थे। जीवन-यापन के लिए तब आनंद गली-गली में पापड बेचते थे। आनंद ने प्रतिभावान गरीब बच्चाों के लिए कोचिंग संस्थान सुपर 30 शुरू की जिससे सभी छात्रों के खाने-रहने और आने-जाने का खर्च वह खुद उठाते है।
इस संस्थान से वर्ष 2003 से वर्ष 2010 तक 182 छात्रों ने आईआईटी की प्रवेश परीक्षा में सफलता प्राप्त की है। आनंद कुमार ने इस सम्मन पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि इससे उन्हें और ताकत से काम कने की प्रेरणा मिली है। उन्होंने कहा कि यह उदहारण है कि अच्छे उद्देश्यों के लिए की गई मेहनत बेकार नहीं होती है। आनंद कुमार अपनी इस सफलता का श्रेय सहयोगी प्रणव सहित पूरी टीम को देते है। उन्होंने कहा कि वे एक ऎसा स्कूल खोलना चाहते है, जहां गरीब मेधावी बच्चाों को छठी से 12वीं तक की नि:शुल्क शिक्षा दी जाए।
1 टिप्पणी:
are bhai anand jee kalyug ke devta hai. blog pe sab markat macha rahen hain, aapne bahut zabardast khabar ka chunav kar diya hai, badhai ke patra hain bandhu aap.
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