भारतीय ओलम्पिक संघ (आइओए) ने सरकार को खुली चुनौती देते हुए मंगलवार को खेल मंत्रालय द्वारा हाल में आईओए और राष्ट्रीय खेल महासंघों (एनएसएफ) के लिए पदाधिकारियों के कार्यकाल संबंधी जारी नये दिशा निर्देशों को सर्वसम्मति से खारिज कर दिया।
ओलम्पिक भवन में आयोजित विशेष आम सभा में एकमत से राय कायम की गई कि न तो भारतीय ओलम्पिक संघ और न ही कोई राष्ट्रीय खेल महासंघ सरकार के इन दिशानिर्देशों को अपने संविधान में शमिल करेगा।
भारतीय ओलम्पिक संघ के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी, जो राष्ट्रमंडल खेलों की आयोजन समिति के अध्यक्ष भी हैं, ने यहां जारी विज्ञप्ति में कहा कि भारतीय ओलम्पिक संघ और राष्ट्रीय खेल महासंघ अपनी स्वायत्ता को खत्म नहीं किया जा सकता है।
कलमाड़ी ने कहा कि पहला और सबसे अहम मुद्दा यह है कि ओलम्पिक चार्टर में साफ साफ कहा गया है कि केवल राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति को ही यह अधिकार है कि वह पदाधिकारियों और कार्यकारिणी के सदस्यों के कार्यकाल का निर्धारण करे। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए खिलाडि़यों पर किए गए खर्च और राष्ट्रीय खेल महासंघों को दिए गए अनुदान को खेल मंत्रालय ने अपने खर्चों में कुछ इस तरह दर्शाया है मानो आईओए और खेल महासंघ कुछ नहीं कर रहे हैं और वे जनता का पैसा बरबाद कर रहे हैं और हम खेल मंत्रालय से दान ले रहे हैं। पिछले कई साल से राष्ट्रीय खेल महासंघों पर एकछत्र राज करने वाले राजनीतिज्ञों के खिलाफ कड़ा रवैया अपनाते हुए सरकार ने उनके कार्यकाल सीमित करने का फैसला किया जिससे आईओए अध्यक्ष कलमाड़ी सहित अन्य खेल महासंघों के पदाधिकारी प्रभावित होंगे।
खेल मंत्रालय ने 1975 के नियम को नये रूप में पेश किया है जिससे विभिन्न खेल महासंघों में एक दशक से भी अधिक समय से शीर्ष पदों पर काबिज राजनीतिज्ञों, नौकरशाहों और उद्योगपतियों को मौजूदा कार्यकाल के बाद पद छोड़ना होगा।
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