स्वास्थ्य मंत्रालय देश के 6 राज्यों में बनने वाले नए एम्स जैसे संस्थानों में तीमारदारों के ठरहने के लिए सस्ते सराय की व्यवस्था करेगा। स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी कहते हैं कि दूरदराज इलाकों से लंबे इलाज के लिए आने वाले हर मरीज के साथ कम से कम दो या तीन परिजन जरूर होते हैं।
साथ आए लोगों को ठहरने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। केंद्र सरकार ने इन्हीं परेशानियों को दूर करने के लिए सराय बनाने का फैसला किया है। इन सरायों में रिश्तेदारों को मामूली किराए में ठहरने की व्यवस्था मुहैया की जाएगी। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार रायपुर, भोपाल, जोधपुर, भुवनेश्वर, पटना और ऋषिकेश में बनने वाले एम्स जैसे हर संस्थान को 100 एकड़ की जमीन आवंटित की गई है।
केंद्र सरकार ने हर संस्थान को कम से कम 4 एकड़ जमीन सस्ते सराय बनाने के लिए देने को मंजूरी दी है। मंत्रालय ये सभी सस्ते सराय प्राइवेट-पब्लिक पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल के तहत बनाने की योजना बना रहा है। इन सस्ते सरायों के संचालन का जिम्मा राज्य सरकार या स्थानीय चेरिटेबल ट्रस्ट को दिया जाएगा।
स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार प्रत्येक एम्स जैसे संस्थान में 960 बिस्तर का प्रबंध होगा। केंद्र सरकार का अनुमान है कि हर मरीज के साथ कम से कम दो परिजनों जरूर आते हैं। इस लिए सभी नए एम्स जैसे संस्थानों में बनने वाले सरायों में शुरुआती दिनों में कम से कम एक हजार लोगों के ठहरने की व्यवस्था की जाए। ऑल इंडिया इंस्टिट्युट ऑफ मेडिकल सांइस (एम्स) में मरीज के साथ आने वाले परिजनों के लिए जल्द ही एक नया सराय बनाया जाएगा। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार एम्स में अभी भी खाली पड़ी जमीन पर जल्द ही मरीजों के परिजनों के ठहरने के लिए एक सस्ता सराय बनाया जाएगा।
एम्स में दिन ब दिन मरीजों के साथ आने वाले परिजनों की तादाद बढ़ती जा रही है। हालात यह हो गई है कि अब ज्यादा लोग ओपीडी की पर्ची बनाने वाले काउंटर के सामने सड़क पर डेरा डाल लेते हैं। मंत्रालय के कहना है कि एम्स में आने वाले गरीब परिवारों के ध्यान में रखकर ही यह फैसला लिया गया है। फिलहाल एम्स में तीन ऐसे सराय हैं, जिनमें गरीब मरीजों के परिजन मामूली किराया देकर रुकते हैं।
शुक्रवार, 21 मई 2010
मरीजों के परिजनों के लिए सराय !!
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