सचिन तेंदुलकर सिर्फ सर्वश्रेष्ठ बल्ले बाज ही नहीं बल्कि नेक दिल इंसान भी हैं । उन्होंने अपने बीमार दोस्त की जिस तरह से मदद की यह उसका परिचायक है।
सचिन का दोस्त दिलबीर सिंह 2002 में दुर्घटना का शिकार होने के बाद से बिस्तर से उठ नहीं सकता था। सचिन ने ना सिर्फ उसके इलाज का खर्च उठाया बल्कि कूल्हे के सफल प्रत्यारोपण होने के बाद उससे मिलने भी गए। दिलबीर सिंह की बहन सुखबीर कौर ने बताया कि सचिन ने दिलबीर के साथ अंडर 17 क्रिकेट खेला है और तभी से दोनों गहरे दोस्त हैं। उन्होंने कहा कि दिलबीर 2002 में हुई दुर्घटना के बाद से बुरी हालत में था लेकिन अब कूल्हे के प्रत्यारोपण के बाद फिर सामान्य जिंदगी जी सकेगा। मैं सचिन की शुक्रगुजार हूं जिन्होंने इतने साल से हमारी मदद की।
दिलबीर की मां सुखदयाल कौर ने कहा कि अपने बेटे का आपरेशन कामयाब होने के बाद उन्होंने इत्मीनान की सांस ली है। अस्पताल के चिकित्सा निदेशक पंकज दोषी ने बताया कि पहले भारतीय क्रिकेट बोर्ड के साथ जुड़े रहे डॉक्टर अनंत जोशी ने दिलबीर को उनके पास भेजा था।
डॉक्टर दोषी ने कहा कि डाक्टर जोशी ने दिलबीर की हालत देखने के बाद कहा था कि कूल्हे का प्रत्यारोपण ही एकमात्र विकल्प है। उन्होंने उसे डाक्टर जेए पचौरी के पास भेजा था जो यहां हमारे साथ हैं और देश में कूल्हे के प्रत्यारोपण के शीर्ष विशेषज्ञों में से हैं। उन्होंने कहा कि आपरेशन में चार घंटे लगे जिसमें बायें कूल्हे को बदला गया। करीब आठ से 12 सप्ताह बाद दायां कूल्हा बदला जाएगा। दोषी ने कहा कि दिलबीर दुर्घटना के बाद करीब छह महीने तक कोमा में था और उसकी जिंदगी बचाने के लिए उसे स्टेरायड दिए गए थे जिसका उसके कूल्हे के जोड़ों पर विपरीत असर पड़ा।
सचिन का दोस्त दिलबीर सिंह 2002 में दुर्घटना का शिकार होने के बाद से बिस्तर से उठ नहीं सकता था। सचिन ने ना सिर्फ उसके इलाज का खर्च उठाया बल्कि कूल्हे के सफल प्रत्यारोपण होने के बाद उससे मिलने भी गए। दिलबीर सिंह की बहन सुखबीर कौर ने बताया कि सचिन ने दिलबीर के साथ अंडर 17 क्रिकेट खेला है और तभी से दोनों गहरे दोस्त हैं। उन्होंने कहा कि दिलबीर 2002 में हुई दुर्घटना के बाद से बुरी हालत में था लेकिन अब कूल्हे के प्रत्यारोपण के बाद फिर सामान्य जिंदगी जी सकेगा। मैं सचिन की शुक्रगुजार हूं जिन्होंने इतने साल से हमारी मदद की।
दिलबीर की मां सुखदयाल कौर ने कहा कि अपने बेटे का आपरेशन कामयाब होने के बाद उन्होंने इत्मीनान की सांस ली है। अस्पताल के चिकित्सा निदेशक पंकज दोषी ने बताया कि पहले भारतीय क्रिकेट बोर्ड के साथ जुड़े रहे डॉक्टर अनंत जोशी ने दिलबीर को उनके पास भेजा था।
डॉक्टर दोषी ने कहा कि डाक्टर जोशी ने दिलबीर की हालत देखने के बाद कहा था कि कूल्हे का प्रत्यारोपण ही एकमात्र विकल्प है। उन्होंने उसे डाक्टर जेए पचौरी के पास भेजा था जो यहां हमारे साथ हैं और देश में कूल्हे के प्रत्यारोपण के शीर्ष विशेषज्ञों में से हैं। उन्होंने कहा कि आपरेशन में चार घंटे लगे जिसमें बायें कूल्हे को बदला गया। करीब आठ से 12 सप्ताह बाद दायां कूल्हा बदला जाएगा। दोषी ने कहा कि दिलबीर दुर्घटना के बाद करीब छह महीने तक कोमा में था और उसकी जिंदगी बचाने के लिए उसे स्टेरायड दिए गए थे जिसका उसके कूल्हे के जोड़ों पर विपरीत असर पड़ा।
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