तेरी बातों में किमाम की खुशबू है :- गुलज़ार - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

सोमवार, 31 मई 2010

तेरी बातों में किमाम की खुशबू है :- गुलज़ार


गुलजार मुंह पर खरी बात बोलने के लिए जाने जाते हैं। हाल ही में एक इवेंट के दौरान गुलजार चेतन भगत पर बिफर पड़े। इस इवेंट में गुलजार और चेतन एक मंच पर आजू-बाजू में बैठे थे। चेतन इसमें संयोजक की भूमिका में थे। इसी प्रक्रिया में वह एक गंभीर चूक कर बैठे।

इस ऑस्कर विजेता गीतकार के बारे में बोलते हुए चेतन ने कहा, ‘मुझे गुलजार-साब द्वारा लिखा ‘कजरारे’ गीत बहुत पसंद है। यह वाकई शायरी का बेहतरीन नमूना है।’ चेतन ने यह बात जिस अंदाज में कही थी, वह गुलजार को पसंद नहीं आया और उन्होंने एक व्यक्ति से माइक्रोफोन लेकर कहा, ‘चेतन, मुझे खुशी है कि आपके जैसा लेखक इस गीत को पसंद करता है। लेकिन मुझे नहीं लगता कि आपको शायरी की समझ है, जिसके बारे में आप यहां बात कर रहे हैं। यदि आप नहीं मानते तो मैं गीत की दो पंक्तियां पढ़ूंगा और उनका आशय मुझे समझा दीजिए।’

इसके बाद गुलजार ने चेतन की ओर देखते हुए उनसे ‘तेरी बातों में किमाम की खुशबू है। तेरा आना भी गर्मियों की लू है’ का मतलब समझाने के लिए कहा। चेतन यह सुनकर हक्के-बक्के रह गए और उनसे कुछ बोलते नहीं बना। यह देख गुलजार ने उन्हें नसीहत देते हुए कहा कि वह उसी के बारे में टिप्पणी करें, जिसके बारे में जानते हैं।

1 टिप्पणी:

दीपक 'मशाल' ने कहा…

कल पढ़ा था ये समाचार एक ब्लॉग पर.. बड़बोले चेतन को अहसास तो हुआ होगा कि वो कहाँ है अभी..