तमिलनाडु के इलाकों में उत्पात मचा कर ‘लैला’ चक्रवात तेज गति से आंध्रप्रदेश की ओर बढ़ रहा है। कश्मीर में नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। वहीं उत्तर भारत के मैदानी इलाके प्रचंड गर्मी से तप रहे हैं। राजधानी दिल्ली में अधिकतम तापमान 45 डिग्री दर्ज किया गया। गुजरात के ईडर में 46 डिग्री व राजस्थान के बाड़मेर में 45.4 डिग्री तापमान दर्ज किया गया। मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले में तापमान 46.8 डिग्री तक पहुंच गया।
उत्तरी तमिलनाडु के तटीय इलाकों में आए चक्रवात और तेज बारिश ने दो लोगों की जान ले ली। करीब १क्क् नावों में सवार कई मछुआरे सोमवार से लापता हैं। गुरुवार को यह चक्रवात आंध्रप्रदेश से गुजरेगा, जिसके मद्देनजर राज्य सरकार ने सभी विभागों को हाई अलर्ट कर दिया है। करीब50,000 लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचा दिया गया है। मौसम विभाग ने बताया है कि दक्षिण पश्चिम व उससे जुड़ी बंगाल की खाड़ी के ऊपर मंडरा रहा लैला उत्तर पश्चिम की ओर बढ़ रहा है। यह उत्तरी दिशा में बढ़ता हुआ नेल्लोर व काकीनाड़ा के बीच आंध्र तट को पार करेगा।
इस कारण उत्तरी तटीय तमिलनाडु व तटीय आंध्रप्रदेश में अगले ४८ घंटों तक भारी बारिश हो सकती है। कश्मीर में बाढ़ जैसी स्थिति बनी हुई है। मंगलवार शाम से यहां के मौसम में कुछ सुधार आया है, लेकिन ज्यादातर नदियां व उनकी उप नदियां अब भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। इससे दर्जनभर पुल तबाह हो गए हैं और संपत्ति को नुकसान पहुंचा है। हालांकि, बुधवार दोपहर से जल स्तर घटना शुरू हुआ है।
हिमाचल प्रदेश के चितकुल व रोहतांग जैसे ऊंचाई के इलाकों में फिर बर्फबारी शुरू हो गई है। जबकि राज्य के निचले इलाकों में बारिश ने तापमान काफी घटा दिया है। चितकुल में करीब ४५ सेंटीमीटर तक बर्फ गिरी। समुद्रतट से १३,क्५क् फीट ऊंचाई पर स्थित रोहतांग र्दे में छह सेंटीमीटर बर्फ गिरी।
भीषण गर्मी से हवा की ऊपरी परत और समुद्र की सतह के तापमान में भारी अंतर पैदा हो गया। इससे बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र बन गया। हवा के गरम होकर ऊपर उठने से यह स्थिति गहराकर तूफान में बदल गई।
चेन्नई के पूर्वी तट का गरम पानी इस तूफान को और खतरनाक बना सकता है। इससे जल्द ही यह कैटेगिरी वन (पहली श्रेणी) का तूफान बन सकता है। दक्षिणी काकीनाड़ा में बरसने से पहले इसकी रफ्तार 97 मील प्रति घंटे (155 किमी प्रति घंटे) तक पहुंच सकती है।
कश्मीर में बाढ़ जैसी स्थिति है। मंगलवार शाम से यहां के मौसम में कुछ सुधार आया है, लेकिन ज्यादातर नदियां व उनकी उप नदियां अब भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं।
चक्रवात का कम दबाव वाला केंद्र हवा में से पूरी नमी चुरा सकता है। पिछले साल आए तूफान ‘आइला’ ने यही किया था। जिसके कारण मानूसनी बारिश में 22 फीसदी कमी आ गई थी। हालांकि इस बार ‘लैला’ के साथ ही अरब सागर में बनी चक्रवातीय स्थिति कर्नाटक-कोकण के तट पर आ रही है। यह ‘लैला’ को बेअसर कर देगी।
आंध्र में मौसम विज्ञानी डॉ. अचील्स गुप्ता ने कहा कि पूर्वी व पश्चिमी तट पर मौसमी चक्र मानसून के लिए आदर्श स्थिति है
लैला आंध्र के तटीय इलाकों में उत्पात मचा सकता है। एचपीसीएल व चेन्नई पेट्रोलियम कॉर्प की रिफाइनरियां, देश की सबसे बड़ी (रिलायंस की) गैस फील्ड व कोयले के पोर्ट को नुकसान पहुंच सकता है।
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Very informative post !
Thanks.
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