अंतरिम रिपोर्ट के अनुसार मंगलौर विमान दुर्घटना मानवीय भूल से हुई थी। विमान का टायर फटने का कोई प्रमाण नहीं मिला है। अनुभवी पायलटों से निर्णय लेने में गलती हुई और दुर्घटना हो गई। समझा जाता है कि प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने इन्हीं निष्कर्षों के आधार पर अंतरिम रिपोर्ट सौंपी है।
डीजीसीए अधिकारियों द्वारा की गई प्रारंभिक जांच के निष्कर्षों वाली चार पेज की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि रनवे पर विमान के टायरों का कोई अंश नहीं मिला है। हादसे के पीछे एटीसी, रनवे की लंबाई और मौसम तीनों ही जिम्मेदार नहीं हैं। सूत्रों के अनुसार रिपोर्ट में कहा गया है कि पायलट और को-पायलट पर्याप्त अनुभवी थे। मंगलौर के बाजपे इंटरनेशनल एयरपोर्ट जैसी स्थितियों में वे पहले भी लैंडिंग कर चुके थे।
संभवत: लैंडिंग के समय वे पूरी तरह से एकाग्रचित नहीं थे इसलिए निर्णय लेने में सेकंड भर की देरी से इतना बड़ा हादसा हो गया। प्रफुल्ल पटेल ने शनिवार शाम को दुर्घटनास्थल से लौटकर प्रधानमंत्री को रिपोर्ट दी थी। रविवार को भी सुबह मुंबई रवाना होने के पहले वे डॉ. सिंह से मिलकर गए। सोमवार को प्रधानमंत्री प्रेस कान्फ्रेंस लेने वाले हैं। उसमें मंगलौर-हादसे का मुद्दा उठने की उम्मीद है। हालांकि प्रफुल्ल पटेल ने दुर्घटना के संभावित कारणों पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
परिजनों के आंसुओं और चीत्कार से अस्पताल में हृदयविदारक स्थिति बनी हुई है। केरल से आए दो परिवारों ने एक ही शव पर दावा जताया। इस पर अधिकारियों ने कहा कि डीएनए टेस्ट के बाद ही शव परिजनों को सौंपे जाएंगे। सभी 8 नहीं पहचाने गए शवों के डीएनए सैंपल जांच के लिए हैदराबाद भेजे गए हैं।
केरल के पूर्वोत्तर जिले कसारगोड के निवासी मंगलोर में हुए विमान हादसे में अपने क्षेत्र के 40 लोगों को खो देने के बाद सदमे में हैं। विमान हादसे का शिकार हुए क्षेत्र के लोगों के शव रविवार को यहां आने शुरू हो गए। जिले का बमुश्कि ल ही ऐसा कोई गांव होगा जहां के लोग इस त्रासदी से प्रभावित नहीं हुए हैं। जिले के सैंकड़ों लोग खाड़ी के देशों में कार्यरत अपने निकट संबंधियों की भेजी धनराशि पर जीवन यापन करते हैं। कोई भी इस त्रासदपूर्ण घटना के गहरे सदमे से उबर नहीं पाया है। ऐसे परिवार अब भी हैं जिन्हें अपनों के शव मिलने का इंतजार है।
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