मुंबई आतंकी हमलों के मामले में मौत की सजा सुनाए जाने के एक महीने बाद पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल कसाब ने इस फैसले को चुनौती देते हुए बंबई हाईकोर्ट से गुहार लगाई है और विधिक सहायता समिति से मामले में दलील रखने के लिए वकील की मांग की है।
जेल सूत्रों ने शुक्रवार को कहा कि कसाब ने जेल अधिकारियों के माध्यम से याचिका दाखिल की और वकील की मांग वाली उसकी याचिका को अदालत विधिक सेवा समिति को भेज दिया गया है।
समिति अब कसाब के वकील के अनुरोध को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जेएन पटेल और समिति की अध्यक्ष न्यायमूर्ति रंजना देसाई के सामने रखेगी। न्यायमूर्ति पटेल महाराष्ट्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के मुख्य संरक्षक हैं।
कसाब को उच्च न्यायालय की पीठ के समक्ष मौजूद रहने का अधिकार है, जो उसकी अपील पर सुनवाई करेगी और इस तरह के घटनाक्रम में यह सुनिश्चित करना होगा कि उसे आर्थर रोड जेल से कड़ी सुरक्षा के बीच अदालत लाया जाए। यूँ तो कसाब के पास अपील दाखिल करने का फैसला करने के लिए 60 दिनों का समय था, लेकिन उसने एक महीने में ही इस काम को किया और 1500 पन्नों के फैसले के साथ उसकी याचिका उच्च न्यायालय को भेज दी गई है।
निचली अदालत ने तीन मई को कसाब को मुंबई आतंकी हमलों के मामले में दोषी करार दिया था और कुछ ही दिन बाद उसे मौत की सजा सुनाई गई। कसाब को भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने, लश्कर-ए-तैयबा का सदस्य होने और हत्या, अपहरण तथा लूटपाट का भी दोषी करार दिया गया।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि राज्य सरकार इस मामले में दो सह आरोपियों फहीम अंसारी तथा सबाउद्दीन अहमद को बरी किए जाने के खिलाफ भी एक अपील दाखिल करने पर विचार कर रही है, जिन पर लश्कर को निशाना बनाए जाने वाले स्थानों के नक्शे मुहैया कराने का आरोप था। निचली अदालत ने कसाब को सुनाई गई फांसी की सजा की पुष्टि के लिए इस फैसले को उच्च न्यायालय को भेजा।
जेल सूत्रों ने शुक्रवार को कहा कि कसाब ने जेल अधिकारियों के माध्यम से याचिका दाखिल की और वकील की मांग वाली उसकी याचिका को अदालत विधिक सेवा समिति को भेज दिया गया है।
समिति अब कसाब के वकील के अनुरोध को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जेएन पटेल और समिति की अध्यक्ष न्यायमूर्ति रंजना देसाई के सामने रखेगी। न्यायमूर्ति पटेल महाराष्ट्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के मुख्य संरक्षक हैं।
कसाब को उच्च न्यायालय की पीठ के समक्ष मौजूद रहने का अधिकार है, जो उसकी अपील पर सुनवाई करेगी और इस तरह के घटनाक्रम में यह सुनिश्चित करना होगा कि उसे आर्थर रोड जेल से कड़ी सुरक्षा के बीच अदालत लाया जाए। यूँ तो कसाब के पास अपील दाखिल करने का फैसला करने के लिए 60 दिनों का समय था, लेकिन उसने एक महीने में ही इस काम को किया और 1500 पन्नों के फैसले के साथ उसकी याचिका उच्च न्यायालय को भेज दी गई है।
निचली अदालत ने तीन मई को कसाब को मुंबई आतंकी हमलों के मामले में दोषी करार दिया था और कुछ ही दिन बाद उसे मौत की सजा सुनाई गई। कसाब को भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने, लश्कर-ए-तैयबा का सदस्य होने और हत्या, अपहरण तथा लूटपाट का भी दोषी करार दिया गया।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि राज्य सरकार इस मामले में दो सह आरोपियों फहीम अंसारी तथा सबाउद्दीन अहमद को बरी किए जाने के खिलाफ भी एक अपील दाखिल करने पर विचार कर रही है, जिन पर लश्कर को निशाना बनाए जाने वाले स्थानों के नक्शे मुहैया कराने का आरोप था। निचली अदालत ने कसाब को सुनाई गई फांसी की सजा की पुष्टि के लिए इस फैसले को उच्च न्यायालय को भेजा।
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