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सोमवार, 15 नवंबर 2010

आखिरकार राजा ने इस्तीफा दिया !

विपक्षी पार्टियों द्वारा 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में आलोचनाओं का सामना कर रहे और प्रधानमंत्री के सख्त रूख के बाद, केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ए. राजा ने रविवार देर रात प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिलकर अपना इस्तीफा सौंप दिया।


प्रधानमंत्री ने दूरसंचार मंत्रालय का अस्थायी प्रभार अपने पास रखा है। राजा ने यह कदम अपनी पार्टी द्रमुक अध्यक्ष करूणानिधि की सलाह पर उठाया है। करूणानिधि ने उन्हें सलाह में कहा था कि किसी भी हालत में सरकार को शर्मिदगी से बचाना है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से उनके 7 रेस कोर्स रोड स्थित आवास पर मिलने के बाद राजा ने वहां उपस्थित पत्रकारों से कहा, "द्रवि़ड मुनेत्र क़डगम (डीएमके) प्रमुख और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. करूणानिधि ने मुझे प्रधानमंत्री को अपना इस्तीफा सौंपने की सलाह दी।"

राजा ने कहा, "मैं यह साबित करूंगा कि जो कुछ भी मैंने किया वह कानून के दायरे में था। मेरे कारण दूरसंचार में क्रांति आई है।"उन्होंने कहा, "मैं देश और नागरिकों के प्रति प्रतिबद्ध हूं और मेरा अन्त:करण साफ है।" उल्लेखनीय है कि ऑल इंडिया अन्ना द्रवि़ड मुनेत्र क़डगम (एआईएडीएमके) की नेता जे. जयललिता ने शुक्रवार को कहा था कि यदि कांग्रेस राजा को उनके पद से हटाती है तो वह सरकार को अपना समर्थन देंगी। उनके इस प्रस्ताव को कांग्रेस ने खारिज कर दिया था। जानकारी सूत्रों ने बताया कि एआईएडीएमके के इस प्रस्ताव से डीएमके दबाव में आ गई थी। राजा मुद्दे पर बातचीत करने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री ने रविवार को बैठक की थी। माना जा रहा है कि बैठक के बाद करूणानिधि राजा के हटाए जाने पर अपनी सहमति दी। द्रवि़ड मुनेत्र क़डगम (डीएमके) के प्रवक्ता और सांसद टी.के.एस. एलानगोवन ने एक समाचार चैनल को बताया कि पार्टी नेतृत्व ने उन्हें पद से हटने की सलाह दी है, ताकि संसद की कार्यवाही शांतिपूर्वक चल सके। उन्होंने जोर देकर कहा कि डीएमके और कांग्रेस के बीच गठबंधन "मजबूत" है। उधर, कांग्रेस प्रवक्ता जयंती नटराजन ने भी राजा के इस्तीफे की पुष्टि की है। उल्लेखनीय है कि राजा के इस्तीफा के लिए सरकार पर विपक्षी पार्टियों का लगातार दबाव बढ़ता जा रहा था। आरोप है कि राजा ने वित्त और कानून मंत्रालय के सुझावों को ताक पर रखते हुए 2जी स्पेक्ट्रम का आवंटन किया। इससे सरकार को 170,000 करो़ड रूपये की चपत लगी। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) गत बुधवार को राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील को अपनी रिपोर्ट सौंप चुका है। रिपोर्ट में कहा गया है "कुछ चुनिंदा कंपनियों को आवंटन का फायदा पहुंचाने के लिए राजा ने अनुचित और लचीली प्रक्रिया अपनाई।"

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