उत्तर एटलांटिक संधि संगठन (नैटो) के महासचिव रासमूसेन के साथ मुलाक़ात उन बैठकों में से पहली है जिनके तहत अमरीकी प्रशासन अफ़ग़ानिस्तान में अपनी रणनीति पर पुनर्विचार कर रहा है.
ये इसलिए हो रहा है क्योंकि डेमोक्रेटिक पार्टी के वरिष्ठ नेता सवाल उठा रहे हैं कि क्या अफ़ग़ान सरकार और सेना को मज़बूत करना सही है और क्या ये संभव है?
ग़ौरतलब है कि शनिवार को अफ़ग़ानिस्तान में अमरीकी जनरल स्टेन्ली मैक्क्रिस्टल ने एक रिपोर्ट सौंपी थी जिसमें अतिरिक्त सैनिकों को तैनात करने का अनुरोध किया गया था. साथ ही उन्होंने चेतावनी भी दी थी कि यदि ऐसा नहीं होता है तो अफ़ग़ानिस्तान में अमरीका असफल भी हो सकता है.
अफ़ग़ानिस्तान में सैन्य अभियान के लिए जनसमर्थन गिरा है और अमरीकी राष्ट्रपति के कार्यालय में भी इस विषय पर मतभेद की ख़बरें सामने आई हैं.
बैठक के बाद अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा, "हम दोनों एकमत हैं कि ये अत्यंत महत्वपूर्ण है कि हम अल क़ायदा के तंत्र को ध्वस्त करने में कामयाब हों. "
उधर रासमूसेन ने कहा, "मुझे भरोसा है कि अफ़ग़ानिस्तान में सफलता पाई जा सकती है और मिलेगी भी...आप इस बात का ग़लत आकलन मत करें. अफ़ग़ानिस्तान में सही रणनीति पर चर्चा का मतलब किसी तरह के दृढ़ संकल्प की कमी नहीं लगाना चाहिए."
अब राष्ट्रपति ओबामा अपने रक्षा मंत्री से मिलेंगे जिन्हें पहले ही अतिरिक्त सैनिकों की सिफ़ारिश मिल चुकी है. वे उप राष्ट्रपति जो बाइडेन से भी मिलेंगे जिन्होंने अफ़ग़ानिस्तान में राष्ट्र निर्माण पर सवाल उठाए थे.
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