नोबेल पुरस्कार समारोह का वहिष्कार . - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 19 नवंबर 2010

नोबेल पुरस्कार समारोह का वहिष्कार .

चीन के लोकतंत्र समर्थक नेता लिउ जियाबाओ को शांति के लिए नोबेल पुरस्कार देने से नाराज चीन के समर्थन में पांच और देश सामने आए हैं। इन देशों ने चीन की तरह १० दिसंबर को होने वाले पुरस्कार समारोह के बहिष्कार की घोषणा की है। भारत, पाकिस्तान सहित कुछ देशों ने इस मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए कुछ और समय मांगा है। 

नोबेल पुरस्कार समिति ने चीन पर आरोप लगाया है कि वह कई देशों पर इस समारोह में भाग न लेने के लिए दबाव डाल रहा है और इस कारण शांति के लिए दिए जा रहे नोबेल पुरस्कार देने का समारोह स्थगित भी किया जा सकता है। 

इस साल शांति के लिए नोबेल पुरस्कार के लिए चीन के असंतुष्ठ नेता लिउ जियाबाओ को चुना गया है। इससे चीन काफी नाराज है। अब इस मामले में अंतर्राष्ट्रीय राजनीति तेज हो गई है। ६ देशों ने इस साल के नोबेल पुरस्कार समारोह में भाग लेने से इंकार कर दिया है। ये देश हैं- चीन, रूस, कजाकिस्तान, क्यूबा, मोरक्को और इराक। हालांकि इन देशों ने बहिष्कार का कोई कारण नहीं बताया है लेकिन माना जा रहा है कि उन्होंने यह कदम चीन के समर्थन में उठाया है। 

इस बीच नोबेल पुरस्कार समिति ने कहा है कि चीन न केवल दूसरे देशों को इस समारोह का बहिष्कार करने का दबाव डाल रहा है, बल्कि वह लिउ या उनके परिजनों को भी समारोह में हिस्सा लेने से रोकने की कोशिश कर रहा है। इसके बाद अब समिति पुरस्‍कार वितरण का कार्यक्रम स्थगित करने पर विचार कर रही है। यदि समारोह नहीं हुआ तो यह १९३६ के बाद पहली बार होगा कि यह पुरस्कार नहीं दिया जा सका। 

पुरस्कार समिति के निदेशक गियर लुंडेस्टेड ने बताया कि अभी तक ३६ देशों के राजदूतों ने निमंत्रण स्वीकार कर लिया है, १६ ने कोई जवाब नहीं दिया है और ६ देशों ने इस समारोह में भाग लेने से साफ इंकार कर दिया है।  

नोबेल पुरस्कार समिति का मुख्यालय नार्वे में है और उन्होंने वहां स्थित सभी दूतावासों को आमंत्रण भेजा है। इन देशों को १५ नवंबर तक जवाब देना था लेकिन कुछ देशों ने जवाब देने के लिए और समय मांगा है। जिन देशों ने अभी कोई जवाब नहीं दिया है उनमें भारत, पाकिस्तान और इंडोनेशिया भी शामिल हैं। इन दूतावासों ने अपनी सरकारों से इस मुद्दे पर सलाह मांगी है। 

ओस्लो में चीन के दूतावास ने दूसरे देशों के दूतावासों को पत्र लिखकर निवेदन किया है कि वे पुरस्कार समारोह में हिस्सा न लें। हालांकि इसके बाद भी करीब करीब सभी पश्चिमी देशों- ब्रिटेन, अमेरिका, फ्रांस और जर्मनी ने कार्यक्रम में भाग लेने पर अपनी सहमति दी है। लुंडेस्टेड ने कहा कि उन्होंने कभी ऐसा नहीं देखा कि कोई देश इतना खुलकर कार्यक्रम का ही विरोध कर रहा हो।   

चीन लिउ जियाबाओ को शांति के लिए नोबेल पुरस्कार दिए जाने से काफी नाराज है। जियाबाओ लोकतंत्र समर्थक नेता हैं और बहुदलीय लोकतंत्र व्यवस्था के पक्षधर हैं। लेकिन चीन की सरकार ने उन्हें ११ साल के लिए जेल में डाल दिया है। वे पहले चीन के नागरिक हैं, जिन्हें शांति के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया है।  चीन की सरकार ने लिउ की पत्नी को भी नजरबंद कर रखा है और उनके भाइयों को भी नार्वे जाने की इजाजत नहीं दी जा रही है। उनके टेलीफोन भी बंद हैं। 

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