उन्होंने कहा कि भारत में नौकरियों की भरमार है, लेकिन मानव संसाधन का समुचित विकास न होने के कारण भारतीय इसे पाने में असमर्थ हैं। सिब्बल ने कहा कि इसलिए हमारा जोर ऐसी शिक्षा नीति पर होना चाहिए जो जरूरत के हिसाब से हो।
सिब्बल ने तकनिकी शिक्षा पर भी जोर देते हुए कहा कि देश के प्रत्येक विश्वविद्यालय ई-नेटवर्क से जुड़े होने चाहिए। साथ ही आम जनता तक भी बॉडबैंड के व्यापक विस्तार से इंटरनेट की पहुंच बढ़ाई जानी चाहिए, ताकि शिक्षा का तेजी से विकास संभव हो सके। उन्होंने कहा कि शिक्षा एक राष्ट्रीय एजेंडा है और इसके तहत पूरे देश की शिक्षा प्रणाली को आधुनिक तकनीक से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि बिल्कुल शुरुआत से ही बच्चों को ऐसी सुविधा उपलब्ध कराने की जरूरत है जहां वे घर बैठे स्वयं अपना आकलन कर सकें। उन्होंने कहा आने वाले समय में इस तरह की सुविधा उपलब्ध करान के लिए सरकार प्रयत्न करेगी जहां दिल्ली में बैठा कोई छात्र मुंबई के किसी प्रोफेसर से पढ़ाई कर सके। उन्होंने कहा कि इसके लिए व्यापक स्तर पर ब्रॉडबैंड और बैंडविड्थ की जरूरत होगी।
सिब्बल ने कहा कि आज अमेरिका में मानव संसाधन तो है लेकिन नौकरियों के अवसर नहीं है, जबकि भारत में इसके विपरीत नौकरियां और अवसर तो हैं लेकिन उसके मुताबिक मानव संसाधन तैयार नहीं है। हमें इस स्थिति को समय रहते पहचानने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आज भारत एक ऐसे मौके पर खड़ा है जहां शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक सुधार और बुनियादी जरूरतों के मद्देनजर समुचित निवेश करके देश वैश्विक स्तर पर एक बुलंद स्थिति का निर्माण कर सकता है। समिट को संबोधित करते हुए शिक्षा मंत्री ने कहा कि लेकिन आज भी एक बड़ी संख्या शिक्षा और स्कूलों से महरूम है। जरूरत इस बात की है कि उन्हें शिक्षा की दहलीज तक लाया जाए। उन्होंने कहा कि इस दिशा में शिक्षा का मौलिक अधिकार एक बड़ी भूमिका निभा सकता है। सिब्बल ने कहा कि इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए सीबीएसई आने वाले समय में वोकेशनल कोर्सेज और डिग्रियां की दिशा में काम करेगा।
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