टाटा ने कहा कि हमने इस बारे में तीन तीन प्रधानमंत्रियों से संपर्क किया था, लेकिन एक व्यक्ति ने विमानन कंपनी शुरू करने के हमारे सारे प्रयासों पर पानी फेर दिया। टाटा ने हालांकि उस व्यक्ति विशेष का नाम नहीं लिया। उन्होंने बताया कि इस मामले में पर चुटकी लेते हुए एक अन्य उद्योगपति ने उनसे कहा कि आप नासमझ हैं, एक मंत्री 15 करोड़ रुपये मांग रहा था आपने क्यों नहीं दे दिया।
घटना को याद करते हुए टाटा ने बताया कि मैं 15 करोड़ रुपये की रिश्वत देकर विमानन कंपनी शुरू नहीं करना चाहता था। रतन टाटा ने कहा की जेआरडी टाटा ने देश में पहली वाणिज्यिक एयरलाइंस कंपनी टाटा एयरलाइंस 1930 में शुरू की थी। इसे बाद में 1950 के दशक में सरकार ने अपने जिम्मे ले लिया और यही बाद में एयर इंडिया बना।
1 टिप्पणी:
yes sir ,
why u were keeping dark to the country till now? u afraid or u have no dare to say . whats meaning to say like this today. u r renound person but u have no dare to protest corruption . if u have , pl say name .....
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