हिरासत में रहकर आतंकी संगठन का संचालन. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

मंगलवार, 7 दिसंबर 2010

हिरासत में रहकर आतंकी संगठन का संचालन.

मुंबई हमलों के आरोपी लश्कर ए तैयबा का ऑपरेशन कमांडर जकी उर रहमान लखवी और जमात उद दावा का मुखिया हाफिज सईद हिरासत में रहते हुए भी आतंकी संगठनों का कामकाज देखते रहे। विकीलीक्स पर जारी अमेरिकी विदेश मंत्रालय के एक गोपनीय संदेश में यह बात जगजाहिर हुई है। 

मुंबई पर 26 नवंबर 2008 को हुए आतंकी हमले में 166 लोग मारे गए थे और सैकड़ों अन्‍य घायल हुए थे। इनमें बड़ी संख्या में विदेशी नागरिक भी शामिल थे। पाकिस्तान ने मुंबई हमलों के सिलसिले में अपने सात नागरिकों को अभियुक्त बनाया है लेकिन मामले की सुनवाई अभी शुरू नहीं हुई है। लखवी को मुंबई हमले के आरोप में पाकिस्‍तान में गिरफ्तार किया गया था लेकिन बाद में उसे बिना किसी आरोप के ही छोड़ दिया गया।

अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने 10 अगस्‍त 2009 को भेजे एक राजनयिक संदेश में कहा था कि लखवी  गिरफ्तार होने के बाद भी लश्‍कर के संस्थापक हाफिज सईद की मदद से गुट का ऑपरेशन करता रहा। संदेश में यह भी कहा गया है कि जुलाई 2009 की स्थिति के मुताबिक लखवी पर लश्कर-ए-तैयबा के खर्चों का हिसाब-किताब रखने की जिम्मेदारी थी। रिपोर्ट के मुताबिक मध्य जुलाई तक लश्कर ने सैन्य कार्रवाई के लिए करीब 36.5 करोड़ पाकिस्तानी रुपये के बजट का इस्तेमाल किया।

अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने यह जानकारी क्लिंटन के निर्देश पर पाकिस्तान सरकार को अगस्त 2009 में ही दी थी। सईद अब जमात-उद-दावा का प्रमुख है। इस संगठन को भी लश्कर-ए-तैयबा का ही एक हिस्सा माना जाता है। खुफिया एजेंसियों ने माना है कि हाफिज सईद कैद में रहते हुए भी दोनों संगठनों का मुखिया बना हुआ है लेकिन किस हमले में उसकी क्या भूमिका है, इसके बारे में ठीक ठीक पता नहीं चल सका है। इसके साथ ही इन एजेंसियों के लिए यह मालूम करना भी मुमकिन नहीं हो सका कि संगठन के शीर्ष नेता नए पुराने हमलों के बारे में कितना जानते हैं।

कोई टिप्पणी नहीं: