दोहे और उक्तियाँ !! - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

रविवार, 5 दिसंबर 2010

दोहे और उक्तियाँ !!


जो वास्तव में ईश्वर और मानवता की सेवा करता है; जो

उसकी इच्छा के आगे सर झुका देता है और प्रत्येक बात को

ईश्वरीय कृपा मानकर स्वीकार करता है; जिसका ह्रदय दया

से भरा हुआ है ऐसा व्यक्ति ही ईश्वर के आशीर्वाद का अधिकारी

होता है| उसे सांसारिक राज्य और वस्तुओ की कोई चाह नहीं

वह तो जीव मात्र के ह्रदय पर शासन करता है|

(स्वामी शिवानन्द )

1 टिप्पणी:

APNA GHAR ने कहा…

bilkul sahi baat hai jeevan unka hee safal hai , jo auro ke liye jeevan jeete hai ashok khatri