मुख्य न्यायाधीश एसएच कपाड़िया और न्यायमूर्ति के.एस. राधाकृष्णन की पीठ ने कहा कि हमनें पाया कि यह वन क्षेत्र नहीं है। हालांकि पीठ ने कहा कि परियोजना के ओखला पक्षी विहार के करीब होने के कारण चिंताएं हैं।
न्यायालय ने कहा कि परियोजना के लिए सभी शर्तों और दिशानिर्देशों को पूरा करना होगा। विशेष वन्य पीठ ने यह भी शर्त जोड़ी कि पक्का निर्माण और सौंदर्यीकरण का काम पूरे क्षेत्रफल के 25 प्रतिशत से ज्यादा में नहीं होना चाहिए।
पार्क की जमीन के 75 फीसदी हिस्से में ओखला पक्षी विहार की तरफ पेड़ होने चाहिए और 25 फीसदी हिस्से में घास लगी होनी चाहिए। सुप्रीमकोर्ट की पीठ ने कहा कि तीन सदस्यीय एक समिति इस बात को सुनिश्चित करेगी कि निर्माण कार्य दिए गए दिशानिर्देशों के अनुसार ही होगा। इस समिति के सदस्यों में पर्यावरण और वन्य मंत्रालय से एक सदस्य, शीर्ष न्यायालय की केंद्रीय सशक्त समिति से एक और नोएडा प्राधिकरण के अध्यक्ष शामिल होंगे।
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