सूत्रों ने बताया कि सरकार इस मामले में बंबई उच्च न्यायालय से उसका मत पूछने के बाद पाकिस्तान को भारत के रुख से अवगत कराएगी। माना जा रहा है कि सरकार को अगले सप्ताह तक इस मामले में बंबई उच्च न्यायालय का मत पता चल जाएगा।
भारत को अब तक, इस बात से कोई आपत्ति नहीं है कि पाकिस्तान का एक आयोग आकर अतिरिक्त मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट आरवी सावंत, जांच अधिकारी रमेश महाले और पीड़ितों एवं हमलावरों का पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सकों का बयान दर्ज करे। महाले ने ही अजमल आमिर कसाब का बयान दर्ज किया था।
लेकिन, सूत्रों के मुताबिक सरकार के लिए यह जरूरी है कि वह इस मामले में पहले उच्च न्यायालय का मत ले क्योंकि 26/11 से जुड़ा मामला न्यायालय के समक्ष लंबित है। एक सूत्र ने बताया, हम चाहते हैं कि पाकिस्तान में 26/11 मामला एकम तार्किक अंत तक पहुंचे। उच्च न्यायालय अगर अनुमति दे देता है, तो हमें उन्हें यहां आकर पूछताछ करने देने की अनुमति देने में कोई परेशानी नहीं है।
विशेष न्यायाधीश एम एल तहिलयानी ने कसाब को मई में मौत की सजा सुनाई थी। उच्च न्यायालय में अब उसकी मौत की सजा की पुष्टि की सुनवाई हो रही है । मुंबई आतंकवादी हमले की दूसरी बरसी की पूर्व संध्या पर भारत ने पाकिस्तान से कहा था कि वह हमलों के जिम्मेदार लोगों को सजा दे। भारत ने कहा था कि पाकिस्तान में मुंबई हमलों की जांच में पर्याप्त प्रगति नहीं हुई है।
भारत ने इस्लामाबाद से कहा था कि वह 26/11 हमलावरों को कानून की जद में लाने के अपने दायित्व और प्रतिबद्धता को पूरा करे। इसके अलावा भारत ने इस बात पर खेद जताया था कि नयी दिल्ली ने कई मुद्दे उठाए, लेकिन इस्लामाबाद ने उनका कोई जवाब नहीं दिया। पाकिस्तान के आंतरिक मंत्री रहमान मलिक ने पिछले सप्ताह कहा था कि पाकिस्तान में सातों संदिग्धों पर मुकदमे में इसलिए देरी हो रही है क्योंकि भारत अहम गवाहों के बयान लेने के लिए पाकिस्तान के एक आयोग को अपने देश आने की अनुमति नहीं दे रहा है।
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