किरण रेड्डी मंत्रिमंडल का विस्तार. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 1 दिसंबर 2010

किरण रेड्डी मंत्रिमंडल का विस्तार.

आंध्र प्रदेश में मुख्यमंत्री एन किरण रेड्डी मंत्रिमंडल का बुधवार को विस्तार हो गया। आज 39 मंत्रियों ने शपथ ली। मुख्यमंत्री ने पार्टी से बगावत कर चुके जगनमोहन रेड्डी के समर्थकों को कैबिनेट में कोई स्थान नहीं दिया है। हालांकि जगनमोहन के परिवार में फूट पड़ गई है और उनके चाचा विवेकानंद रेड्डी मंत्रिमंडल में शामिल हो गए हैं। विवेकानंद रेड्डी, मुख्यमंत्री रहे वाईएस रेड्डी के भाई हैं और पहले कड़प्पा से सांसद थे। जगनमोहन रेड्डी की बगावत के बाद मुख्यमंत्री किरण रेड्डी विवेकानंद रेड्डी को कैबिनेट में शामिल होने के लिए मना रहे थे और अंत में वे सफल रहे।  

24 नवंबर को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के रोसय्या ने स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि यह गोपनीय नहीं है कि वे जगनमोहन रेड्डी की पार्टी विरोधी गतिविधियों पर अंकुश नहीं लगा पा रहे थे और इसी वजह से हाईकमान ने उनसे इस्तीफा ले लिया। पार्टी ने इसके बाद एन किरण रेड्डी को मुख्यमंत्री पद की बागडोर सौंप दी। किरण रेड्डी शपथ ले चुके हैं। 

इसी बीच वाईएस राजशेकर रेड्डी के बेटे सांसद जगनमोहन रेड्डी ने पार्टी से खुली बगावत कर दी। उन्होंने सांसद पद से इस्तीफा दे दिया। उनकी मां ने भी विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया। पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपने खुले पत्र में उन्होंने कहा कि पार्टी जानबूझकर उनकी उपेक्षा कर रही है।  

नए मुख्यमंत्री ने आज कैबिनेट का विस्तार किया। मंत्रिमंडल में 39 मंत्री शामिल किए गए।  मंत्रियों को राज्यपाल ईएसएल नरसिम्हन ने शपथ दिलवाई। मंत्रिमंडल में 11 वे नेता शामिल हैं, जो पूर्व मुख्यमंत्री रोसय्या की टीम के सदस्य नहीं थे। जगन समर्थकों को शामिल नहीं किया गया है। हालांकि अभी भी किरण रेड्डी ने मंत्रिमंडल में कुछ पद खाली रखे हैं जिन्हें बाद में भरा जाएगा। आशंका है कि अब जगनमोहन रेड्डी के समर्थक भी पार्टी से इस्तीफा देंगे और विद्रोह को नियंत्रित करने के लिए ही इन पदों को रिक्त रखा गया है।    

नए मुख्यमंत्री किरण रेड्डी ने पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी के भाई विवेकानंद रेड्डी को भी मंत्रिमंडल में जगह दी है। विवेकानंद पहले कड़प्पा से सांसद थे, लेकिन जगनमोहन के लिए उन्होंने अपनी सीट छोड़ दी थी। जगनमोहन चाह रहे थे कि विवेकानंद भी कांग्रेस से इस्तीफा दें और मंत्रिमंडल में शामिल न हों, लेकिन उन्होंने इसे नहीं माना और मंत्री बनने का प्रस्ताव उन्होंने मान लिया। 

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