सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) नामक एक गैर सरकारी संगठन की ओर से न्यायालय में हाजिर वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि हालांकि सीबीआई ने बताया है कि ऐसे 5800 संवाद हैं, लेकिन इनमें से केवल 3000 संवादों को अभी कलमबद्ध किया जा सका है।
उल्लेखनीय है कि इससे एक दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन संबंधी नीरा राडिया और अन्य की बातचीत वाले टेप सीलबंद करके अदालत के सुपुर्द किए जाएं।
न्यायालय ने कहा था, हम निर्देश देते हैं कि मूल दस्तावेज, टेप और सीडी प्रतियां बनाने के बाद सीलबंद करके सौंपी जाएं। इन्हें सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री के लॉकर्स में रखा जाएगा और जरूरत पड़ी तो इनके इस्तेमाल पर विचार किया जाएगा। पीठ के इस निर्देश से पहले सरकार ने उसके समक्ष कहा था कि उसे बातचीत के ब्यौरे वाले तमाम टेप न्यायालय के सुपुर्द करने में कोई आपत्ति नहीं है। आशंका जताई जा रही थी कि इन टेपों को नष्ट किया जा सकता है। सुब्रमण्यम ने कहा था कि उन्हें निर्देश मिले हैं कि इन टेपों को न्यायालय के सुपुर्द करने में सरकार को कोई आपत्ति नहीं है। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से उस याचिका पर जवाब मांगा था, जिसमें स्पेक्ट्रम मामले में नीरा राडिया और अन्य के बीच हुई बातचीत के टेपों को सुरक्षित करने की मांग की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को ही टाटा समूह के अध्यक्ष रतन टाटा द्वारा दायर याचिका पर भी सुनवाई करेगा, जिसमें उन टेपों के लीक होने की जांच कराने तथा इनका आगे प्रकाशन रोकने के लिए सरकार को निर्देश देने का आग्रह किया गया है, जिनमें कोरपोरेट जगत के लिए लॉबिंग करने वाली नीरा राडिया के साथ उनकी निजी बातचीत है। याचिका न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी और न्यायमूर्ति एके गांगुली की पीठ के समक्ष उल्लेख के लिए सूचीबद्ध है। टाटा ने अपनी याचिका में उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई का आग्रह किया है जो टेप लीक करने में संलिप्त हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह की गतिविधि जीवन के उनके मौलिक अधिकार का उल्लंघन है जिसमें संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निजता का अधिकार शामिल है।
टाटा ने शीर्ष अदालत से केंद्रीय गृह सचिव, सीबीआई और आयकर विभाग को इस संबंध में निर्देश देने का आग्रह किया। वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे के निर्देशन में तैयार हुई याचिका में कहा गया है कि क्योंकि राडिया का फोन कथित कर चोरी के लिए टेप किया गया था, इसलिए इसका इस्तेमाल किसी और उद्देश्य के लिए नहीं हो सकता। याचिका में उल्लेख किया गया कि पीयूसीएल मामले में सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों में यह व्यवस्था दी गई थी कि फोन पर निगरानी सिर्फ किसी खास उद्देश्य के लिए ही रखी जा सकती है। टाटा ने अपनी याचिका में यह भी तर्क दिया कि राडिया के साथ उनकी बातचीत को सार्वजनिक किया जाना संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के उनके मौलिक अधिकार का भी उल्लंघन है।
कुछ पत्रिकाओं ने 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में 1.76 करोड़ रुपए के कथित घोटाले के मद्देनजर राडिया की राजनीतिज्ञों, पत्रकारों और उद्योगपतियों से हुई बातचीत के टेप किए गए अंश प्रकाशित किए हैं। इनमें से कुछ टेपों की प्रतियां विभिन्न वेबसाइटों पर भी आई हैं, जिससे लॉबी करने वालों और पत्रकारों के बीच कथित गठजोड़ को लेकर विवाद खड़ा हो गया है।
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