बरखा के बाद वीर और प्रभु को बचाने का नाटक. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 4 दिसंबर 2010

बरखा के बाद वीर और प्रभु को बचाने का नाटक.

एनडीटीवी पर बरखा दत्त के प्रायोजित, फर्जी और घमंड से भरे कोर्ट मार्शल के बाद कलंकित पत्रकारों की सूची में शामिल प्रभु चावला और वीर सांघवी ने आज तक के हेडलाइंस टुडे चैनल का सहारा लिया। टीवी टुडे समूह की यह चाल समझ में आती है। उन्हें अगर प्रभु चावला की इज्जत बचानी थी तो यह शो आज तक पर होना चाहिए था जहां प्रभु चावला सीधी बात कार्यक्रम करते हैं।

मगर चलिए हेडलाइंस टुडे ही सहीं। अब पाक दामन दिखने की रश्मे निभाई जा रही है। हेडलाइंस टुडे ने अपने समूह में पहले ही बदहाल हो कर भाषायी प्रकाशनों के संपादक रह गए प्रभु चावला और हिंदुस्तान टाइम्स के सलाहकार समाचार निदेशक वीर सांघवी को एम जे अकबर और हिंदू के संपादक एन राम के अलावा ओपेन पत्रिका के हरितोष सिंह बल और नीरा राडिया की तरह ही जनसंपर्क कंपनी चलाने वाले दिलीप चेरियन के सामने पेश किया गया था।

मजेदार बात यह थी कि यह खबर पूरे पन्ने पर इंडिया टुडे समूह के ही दैनिक अखबार मेल टुडे ने छापी है। इसी अखबार ने प्रभु चावला का साप्ताहिक स्तंभ भी छपता है। पता नहीं वह भी कब बंद हो जाए। प्रभु चावला आखिर उसी समूह में काम करते हैं इसलिए उनके प्रति थोड़ा नर्म रवैया जरूर रखा गया। वीर सांघवी को तो बाकायदा दोषी करार दे दिया गया।

हरतोष सिंह बल ने चावला से पूछा कि आपने जो सफाई दी है उसमें राडियो टेपों में एक शब्द गायब कर दिया है। चावला ने इनकार किया तो उनके सामने उनका बयान और टेप रिकॉर्ड की बातचीत रख दी गई। बयान में चावला कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के पहले मैं उन लोगों पर जांच चाहता हूं। उन लोगों से मतलब मुकेश अंबानी हैं मगर वास्तव में टेप में जो दर्ज है और जो आप पढ़ और सुन चुके हैं उसमें प्रभु चावला नीरा राडिया के सामने बाकायदा गिड़गिड़ा रहे हैं कि फैसला आने के पहले भी मैं उन्हें सावधान करना चाहता था।

पता नहीं क्यों एन राम जैसे साफ सुथरे पत्रकार ने भी सुप्रीम कोर्ट को मैनेज करने के सवाल पर प्रभु चावला की साफ साफ टिप्पणी पर सवाल नहीं किया। चावला ने कहा था कि लंदन के जिस चैनल से अंबानी काम करवाना चाहते हैं वो ठीक नहीं है। मतलब चावला दलाली के लिए खुद को पेश कर रहे हैं। वह भी उस अंदाज में कि सामने वाली दुकान से हमारी जलेबी ज्यादा मिट्ठी है। चावला का आचरण वैसे भी पटरी के दुकानदारों वाला ही है। प्रभु चावला ने मुकेश अंबानी को भेजे हुए संदेश के बारे में झूठ बोला कि यह तो उन्होने एक खबर या किसी और वजह से भेजा था।

मुकेश अंबानी कोई चंगु मंगु नहीं हैं जिन्हें आप एसएमएस करें, उसका जवाब नहीं आने पर नीरा राडिया के सामने रोए और फिर भूल जाएं कि आखिर यह संदेश भेजा क्यों गया था? चावला के पास इसका भी कोई जवाब नहीं हैं कि अपने अभियुक्त बेटे अंकुर चावला की कानूनी कंपनी को अनिल अंबानी का गैस वाला मामला नहीं मिला, इसकी शिकायत उन्होंने नीरा राडिया से क्यों की? क्या अमर उजाला की तरफ से रिश्वत देने के मामले में हुई प्रभु चावला अपने अंकुर का साथ देंगे? चावला ने एन राम से कहा कि आप भी तो श्रीलंका सरकार को सलाह देते है। जज साहब खुद फंस गए तो चावला को बरी कर के चले गए।

एन राम, बरखा दत्त के मामले में काफी ताव में थे। उन्होंने कहा कि बरखा रुखा बोल रही थी, हमला कर रही थी और उन्हें अपने किए पर कोई पछतावा नहीं हैं। मुफ्तखोरी को ललित कला बना चुके वीर सांघवी बैंकॉक में अपने होटल की बालकनी से बोल रहे थे। सांघवी को पहले उनका टेप सुनाया गया और फिर पूछा गया कि हिंदुस्तान टाइम्स में लिखने के पहले आखिर उन्होंने नीरा राडिया से सारी सूचनाएं और आदेश क्यों लिए? सांघवी ने कहा कि समाचार के सूत्र आपसे तभी बात करते हैं जब वे आपसे कुछ चाहते हैं। मैंने तो इधर उधर चल रही गप्पों के बारे में नीरा राडिया को बेवकूफ बना दिया था और अपना काम निकाल लिया था।

वीर सांघवी बाकायदा झूठ बोल रहे थे। जिन्होंने भी उनकी बातचीत सुनी है उसमें साफ जाहिर है कि वीर सांघवी राहुल गांधी और सोनिया गांधी के अलावा अहमद पटेल तक से बात करने को न सिर्फ तैयार थे बल्कि बात कर चुके थे। गुलाम नबी आजाद के उनके पास उन्हीं के अनुसार लगातार फोन आ रहे थे। यह सब वीर सांघवी ने कहा है और अगर झूठ कहा है तो उनके लिखे पर क्यों भरोसा किया जाए? वे पथनीय कॉलम लिखते थे और वह कॉलम बंद हो गया है


---आलोक तोमर---
डेट लाइन इंडिया डोट कोम

1 टिप्पणी:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

सब दिखावा कर रहे थे. आई-वाश. लेकिन जनता भी क्या कर सकती है, कुछ नहीं. जांच में क्या होगा, कुछ नहीं.