पश्चिम बंगाल के सबसे चर्चित मामले (पुरुलिया केस) की जांच कर रही सीबीआई को आज बड़ा झटका लगा है। पुरलिया में हथियार गिराने के मुख्य आरोपी किम डेवी को सौंपने के मामले में डेनमार्क हाईकोर्ट ने सीबीआई की याचिका खारिज कर दी है। डेनमार्क हाईकोर्ट के बाद सीबीआई अब सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी। भारत ने डेनमार्क की सरकार को पहले ही यह भरोसा दिलाया था कि यदि किम डेवी का प्रत्यपर्ण होता है तो उसे फांसी की सजा नहीं होनी चाहिए। साथ ही अगर उसे उम्र कैद की सजा हाती है तो उसे डेनमार्क के कारागार में ही सजा काटने की अनुमति दी जायेगी। भारत के इस प्रस्ताव पर डेनमार्क सरकार प्रत्यर्पण के लिए तैयार भी हो गई थी, लेकिन डेवी ने निचली अदालत में सरकार को चुनौती दे दी और वह मुकदमा जीत गया था। डेनमार्क सरकार और सीबीआई ने निचली अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी, लेकिन वहां भी फैसला डेवी के पक्ष में हुआ है।
पुरुलिया केस एक ऐसा मामला था जिसने पूरे देश को हैरत में डाल दिया था। घटना 17 दिसम्बर 1995 की रात आसमान से हथियारों की बारिश हुई थी। उस दिन पैराशूट के माध्यम से हथियारों की भारी मात्रा आसमान से गिराई गई थी। हथियारों के इस खेप में बुल्गारिया में बनी 300 एके-47, एके-56 राइफलें, 15000 कारतूस, आठ रॉकेट लॉन्चर, टैंकभेदी हथगोले, नौ एमएम की पिस्तौलें और रात में देखनेवाले उपकरण शामिल थे।
किम डेवी ने उसके बाद डेनमार्क के एक टीवी चैनल पर इंटरव्यू के दौरान कहा कि पुरुलिया कांड के पीछे दिल्ली के नेताओं का हाथ था। इस पूरे मामले में डेवी ने यहां भी दावा किया था कि हिंदुस्तान से भाग निकलने में एक सांसद ने उसकी मदद की थी। घटना के 16 साल बाद भी सीबीआई और भारतीय खुफिया एजेंसियां यह पता नहीं लगा पाईं हैं कि इस साजिश के पीछे किसका हाथ था और इसका उद्देश्य क्या था।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें