भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद व उसकी मध्य प्रदेश इकाई के अध्यक्ष प्रभात झा ने महंगाई को मौत का पर्याय बताते हुए राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल से इच्छामृत्यु की अनुमति मांगी है। झा ने इच्छामृत्यु के लिए राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल को पत्र लिखा है।
प्रभात झा ने पत्र में कहा है, "2004 में कांग्रेसनीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार सत्ता में आई थी। उसने वादा किया था कि 'ऐ देशवासियो, 100 दिन के अंदर महंगाई कम हो जाएगी।' आज 7 वर्ष के पश्चात भी सरकार महंगाई तो कम नहीं कर पाई पर महंगाई को मौत का पर्याय बना दिया।"
उन्होंने कहा, "मैं संसद के उच्च सदन का सदस्य हूं। हां, आम गरीब की तरह मुझे महंगाई से तो तकलीफ नहीं हो रही है पर देश के उच्च सदन में बैठकर यदि मैं भारत के 100 करोड़ से अधिक लोगों की जिंदगी की चिंता न करूं तो मेरा सदन में बैठना निरर्थक ही होगा। महंगाई जब मौत का पर्याय बन जाए तो बहस की गुजांइश नहीं बचती। महंगाई अब बहस का मुद्दा नहीं, बल्कि अब वह आम जिंदगी को अपनी हवस का शिकार बनाने पर आमदा है। देश की सामूहिक प्रतिक्रिया का सरकार पर असर न होना राष्ट्रीय चिंता का विषय है।"
झा ने पत्र में यह भी साफ कि किया कि प्रचार पाने के लिए उन्होंने यह पत्र नहीं लिखा बल्कि यह उनकी भावना है। उन्होंने लिखा, "मैं आगे जो कुछ भी लिख रहा हूं वह न भावनात्मक है न प्रचार के लिए। लोकतंत्र में जब सारे रास्ते बंद हो जाएं तो विरोध का वह मार्ग चुनना पड़ता है जो स्वयं के जीवन से जुड़ा हो। अत: मैं आपसे विनम्र निवेदन कर रहा हूं कि आप मुझे कांग्रेसनीत यूपीए सरकार द्वारा महंगाई को मौत का पर्याय बनाने पर विराम लगाने के लिए मुझे यथाशीघ्र च्छामृत्यु की अनुमति प्रदान करें।"
पत्र में उन्होंने लिखा, "मैं जानता हूं कि आप मां हैं। मां, ऐसी अनुमति नहीं देंगी; पर मां, मैं आपसे 115 करोड़ आबादी, जिनकी मां भी आप ही हैं, के लिए अपनी इच्छामृत्यु का निवेदन प्रस्तुत कर रहा हूं। मेरी जिंदगी भी आपकी अनुमति मात्र से सार्थक हो जाएगी। मेरा सांसद बनना भी सार्थक हो जाएगा। मेरे पास मेरी जिंदगी के सिवा कुछ नहीं है।" इस समय भारत की आम जिंदगी के साथ हो रहे खिलवाड़ से व्यथित हूं। सरकार जिंदगी देती है, मौत नहीं। लेकिन कांग्रेस की अगुवाई वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार महंगाई के साथ मौत परोस रही है। मैं सोचते-सोचते इस नतीजे पर पहुंचा कि 115 करोड़ जनता की हिफाजत के लिए एक सांसद की जिंदगी ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं होती। अत: मैं आपसे विनम्र निवेदन कर रहा हूं कि आप मुझे संप्रग सरकार द्वारा महंगाई को मौत का पर्याय बनाने पर विराम लगाने के लिए मुझे यथाशीघ्र इच्छमृत्यु की अनुमति प्रदान करें।
झा को इस बात को लेकर शक है कि उनकी इच्छामृत्यु के बाद भी केन्द्र सरकार पर कोई असर होगा। उन्होंने कहा कि एक जनप्रतिनिधि के नाते जब मैं गांवों में प्रवास पर जाता हूं तो मेरा विकट परिस्थितियों से सामना होता है। बढ़ती महंगाई के कारणस घर के चूल्हे बुझे हुए हैं, बच्चों की पढ़ाई की फीस भर पाने में दिक्कतें, बीमार मां-पिता का इलाज कराने हेतु दवा के लिए पैसे नहीं हैं। ऐसी परिस्थिति से आज करोड़ों लोग जूझ रहे हैं। ऐसे में मुझे अपना जीवन ही निरर्थक लगने लगता है। झा ने इस निर्णय से अपने परिवार को भी अवगत कराया है, साथ ही इस पत्र की प्रतियां सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के साथ-साथ भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी और लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज और राज्यसभा में प्रतिपक्ष के नेता अरुण जेटली को भी भेजी हैं।
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