न्यू यॉर्क स्थित स्टोनी ब्रूक यूनिवर्सिटी में शोध कर रही जूही त्यागी को नक्सलियों ने खैरा के जंगलों में बंधक बना लिया। बेंगलुरु की रहने वालीं जूही नक्सलियों पर रिसर्च करने के लिए 19 जून को यहां आई थीं।
रिसर्च के सिलसिले में जूही नक्सलियों से बात करना चाहती थीं। एकता परिषद के सदस्य प्रदीप कुमार दास के साथ जूही मंगलवार को बाइक से जंगल की ओर गईं। जब देर रात दोनों वापस घर नहीं लौटे तो परिवार वालों को चिंता हुई। बुधवार को प्रदीप के परिवार वालों को फोन करके दोनों को बंधक बनाए जाने की सूचना दी।
जमुई के एसपी आर. एन. सिंह ने कहा कि जूही नक्सलियों के सुरक्षित गढ़ में मंगलवार को गई थीं और इसके बाद से उनका अता-पता नहीं है। उन्होंने कहा कि अभी पक्के तौर पर यह नहीं पता चला है कि जूही का अपहरण हुआ है या नहीं। एसपी ने कहा कि पुलिस मामले की तहकीकात कर रही है। हालांकि, चर्चा यह भी है कि नक्सलियों ने कहा है कि गांव से कुछ आदमी आकर इन दोनों की पहचान करें कि ये दोनों पुलिस के आदमी तो नहीं हैं।
रिसर्च के सिलसिले में जूही नक्सलियों से बात करना चाहती थीं। एकता परिषद के सदस्य प्रदीप कुमार दास के साथ जूही मंगलवार को बाइक से जंगल की ओर गईं। जब देर रात दोनों वापस घर नहीं लौटे तो परिवार वालों को चिंता हुई। बुधवार को प्रदीप के परिवार वालों को फोन करके दोनों को बंधक बनाए जाने की सूचना दी।
जमुई के एसपी आर. एन. सिंह ने कहा कि जूही नक्सलियों के सुरक्षित गढ़ में मंगलवार को गई थीं और इसके बाद से उनका अता-पता नहीं है। उन्होंने कहा कि अभी पक्के तौर पर यह नहीं पता चला है कि जूही का अपहरण हुआ है या नहीं। एसपी ने कहा कि पुलिस मामले की तहकीकात कर रही है। हालांकि, चर्चा यह भी है कि नक्सलियों ने कहा है कि गांव से कुछ आदमी आकर इन दोनों की पहचान करें कि ये दोनों पुलिस के आदमी तो नहीं हैं।
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