मात्र नौ साल की उम्र के तालांजय पर मां सरस्वती की असीम कृपा है। इस उम्र में ही उसने वह कर दिखाया जिसे पाने के लिए कला के पुजारी पूरी उम्र साधना करते हैं। तालांजय ने एक साथ 14 तबलों को सुरबद्ध किया। नन्हें हाथों से तबले की थाप देख लोगों की आंखें फटी रह गईं। पांचवीं का छात्र तालांजय का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड में भी दर्ज हो गया है। इतनी कम उम्र में 14 तबले बजाने वाला यह पहला बच्चा है। तालांजय के पिता अजय ठाकुर भी तबला वादक हैं।
गुरु के रूप में पिता अजय ठाकुर ने शिक्षा दी तो मां तूलिका शर्मा ने प्रेरणा। तालांजय का कहना है कि 14 तबलों पर 15 मात्रा की पंजम सवारी, 11 मात्रा का रुद्र ताल, नौ मात्रा की बसंत ताल के साथ धमार, तीन ताल, एक ताल आदि बड़ी आसानी से बजा लेता है। कत्थक में भी उसके तबले की थाप धीमी नहीं पड़ती। तालांजय का शौक है कि वह 18 तबलों को एक साथ बजाए। इसके लिए वह प्रतिदिन ढाई घंटे अभ्यास भी करता है। हालांकि उम्र कम होने के कारण 18 तबलों को तालबद्ध करने में उसके हाथ छोटे पड़ जाते हैं।
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