प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाने के मुद्दे पर रविवार को यहां आयोजित सर्वदलीय बैठक में भी कोई सहमति नहीं बन पाई। इस मामले में राजनीतिक दल तीन अलग-अलग खेमों में बंटे दिखे। कांग्रेस एक मजबूत लोकपाल बिल लाने का पुराना राग अलापती रही। प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाने पर प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने भी चुप्पी साधे रखी।
वामदल, डीएमके और टीडीपी ने प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाने का पक्ष लिया। वैसे, तीन घंटे तक चली इस बैठक के बाद जारी साझा बयान में कहा गया है कि सर्वदलीय बैठक में इस बात पर सहमति बनी है कि संसद के अगले सत्र में स्थापित प्रक्रिया के तहत एक मजबूत एवं प्रभावी लोकपाल बिल को पेश किया जाए। सभी दल इस पर भी सहमत दिखे कि लोकपाल की वजह से संसद की सर्वोच्चता पर कोई आंच नहीं आनी चाहिए। डीएमके ने तो न्यायपालिका तक को लोकपाल के दायरे में लाने की वकालत की है। जबकि, एआईएडीएमके ने प्रधानमंत्री को इसके दायरे में लाने की खिलाफत की। उधर, समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल ने सिविल सोसाइटी पर वार करते हुए कहा कि यह लोग सरकार को बंधक नहीं बना सकते।
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