अमेरिका के पैसे से ही उसके खिलाफ जंग. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 25 जुलाई 2011

अमेरिका के पैसे से ही उसके खिलाफ जंग.


अमेरिका ने अफगानिस्तान में बिजनेस प्रमोशन और वहां तैनात अपनी सेना को रसद पहुंचाने के लिए २.१६ बिलियन डॉलर (९७२० करोड़ रुपए) का ट्रांसपोर्ट कांट्रेक्ट किया था, लेकिन इसका बड़ा हिस्सा तालिबान के पास पहुंचा। करीब एक साल तक चली अमेरिकी सेना की जांच में इस बात के पुख्ता सुबुत मिले हैं।   

जांच रिपोर्ट को अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है। ट्रक कंपनियों ने यह धन अफगानिस्तान के नेशनल पुलिस कमिश्नर के एकाउंट में पैसा जमा करवाया और वहां से यह तालिबान तक पहुंचा। इस मामले में अमेरिकी कांग्रेस, फेडरल एजेंसियों द्वारा की गई जांच में भी इसके संकेत दिए गए थे, लेकिन अब इसकी पूरी तरह से पुष्टि हो गई है। लेकिन इसके बाद भी आठों ट्रांसपोर्ट कंपनियां अभी भी अमेरिका के पे-रोल पर हैं। मार्च में पेंटागन ने कांट्रेक्ट ६ माह के लिए और बढ़ा दिया है। 

सेना की जांच में कहा गया है कि उनके पास इस बात के ठोस सुबुत हैं कि ये ट्रांसपोर्ट कंपनियां  न केवल ज्यादा रकम वसूल रही हैं, बल्कि एक बड़ा हिस्सा तालिबान के पास पहुंचा है। इसके अलावा सत्ता के दलालों, सरकारी अफसरों और पुलिस अफसरों को भी बड़ा हिस्सा दिया गया है। इनमें से  ६ कंपनियां फर्जी कागजों के आधार पर अमेरिका से पैसा वसूल रहीं हैं। 

रिपब्लिकन जॉन एफ टिर्ने, जो कि अमेरिकी संसद की एक उप समिति के अध्यक्ष रह चुके हैं, ने कहा कि वास्तविकता तो यह है कि अमेरिका की सेना एक सुनियोजित तरीके से चल रहे रैकेट को रकम दे रही है, जो तालिबान, दलालों और भ्रष्ट लोगों को मदद का बड़ा हिस्सा पहुंचा रहे हैं। अफगानिस्तान में तैनात नाटो सेनाओं और खुद के जवानों के लिए दी गई रसद और दूसरी मदद, सुरक्षित तरीके से एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचे, इसके लिए तालिबान रकम उगाही करता है। सेना की जांच में इस तरह के कई उदाहरण मिले हैं। एक उदाहरण के अनुसार अमेरिका ने एक ट्रांसपोर्ट कंपनी को ७.४ मिलियन डॉलर (३३.३० करोड़ रुपए) का भुगतान  एक कंपनी को एडवांस में किया। कंपनी ने एक सब कांट्रेक्टर को ठेका दिया और उसने फिर एक तीसरी कंपनी को ठेका दिया गया। इस कंपनी ने अफगानिस्तान के नेशनल पुलिस कमिश्नर के एकाउंट में पैसा जमा करवाया। उस एकाउंट में ठेकेदार लगातार धन जमा करवाते हैं। 

सेना की गुप्तचर इकाई ने ३.३ मिलियन डॉलर (१४.८५ करोड़ रुपए), जो कि कमिश्नर के खाते से २७ बार में निकाले गए थे, का पता लगाया और तब खुलासा हुआ कि यह धन आतंकवादियों के पास हथियारों, विस्फोटकों और नगदी के रूप में पहुंचा।  अब अमेरिका ट्रांसपोर्ट संबंधी मदद देने के लिए नए नियम बना रहा है। अब आठ के बजाए ३० कंपनियों को ठेके दिए जाएंगे।    

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