नवनियुक्त केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) प्रदीप कुमार ने गुरुवार को पदभार ग्रहण करने के बाद कहा कि भ्रष्टाचार से लड़ने में कोई समझौता नहीं किया जाएगा। उन्होंने यह चेतावनी भी दी कि लोग किसी के खिलाफ निजी दुश्मनी निकालने के लिए या किसी को संदिग्ध ठहराने के लिए अनर्गल आरोप नहीं लगाएं। इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने पूर्व सीवीसी पीजे थॉमस की याचिका पर जल्द सुनवाई करने से इनकार कर दिया।
पूर्व रक्षा सचिव 62 वर्षीय कुमार ने भ्रष्टाचार को एक बीमारी बताया। उन्होंने कहा कि यह लोगों और देश को प्रभावित कर रही है। भ्रष्टाचार पर उच्च स्तर या निचले स्तर का एकाधिकार नहीं है। जहां भी भ्रष्टाचार है, उससे सख्ती और लगातार निपटने की जरूरत है।
प्रदीप कुमार कहा, ‘भ्रष्टों को दंडित करने के लिए मैं ऐसा माहौल नहीं चाहता, जहां निजी दुश्मनी निकाली जाए या संदिग्ध बताकर उनकी जांच शुरू की जाए। हम ऐसा माहौल बनाना चाहते हैं जहां ईमानदार लोग बिना किसी भय के काम कर सके।’ कुमार ने अपने पूर्ववर्ती पीजे थॉमस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। थॉमस की नियुक्ति को केरल में भ्रष्टाचार के मामले में लंबित आरोप पत्र के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था।
थॉमस चाहते थे कि कुमार के पदभार ग्रहण करने से पहले राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील के समक्ष लंबित उनकी अपील निपटाई जाए। इस संबंध में उन्होंने मामले की सुनवाई जल्द करने की मांग की थी, जिस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने इनकार कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा, ‘अंतिम क्षणों में याचिका को सुना जाना मुश्किल है। खासकर ऐसे समय जब नए सीवीसी को आज ही 11 बजे पदभार ग्रहण करना है।’ कोर्ट ने याचिका मंजूर कर ली है। इस पर अब शुक्रवार को सुनवाई हो सकती है।
कुमार की नियुक्ति पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, गृहमंत्री पी. चिदंबरम और विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज की उच्च स्तरीय समिति ने 2 जुलाई को मुहर लगाई थी। 1972 बैच के हरियाणा कैडर के आईएएस अधिकारी कुमार को राष्ट्रपति ने सीवीसी के पद की शपथ दिलाई।
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