विवादास्पद दार्जिलिंग मुद्दे के समाधान के लिये गोरखा जनमुक्ति मोर्चा और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच बहुप्रतिक्षित त्रिपक्षीय समझौते पर सोमवार 18 जुलाई को हस्ताक्षर कर दिया गया है. समझौते पर हस्ताक्षर होने के साथ नये पर्वतीय परिषद गोरखालैंड प्रादेशिक प्रशासन के गठन का मार्ग प्रशस्त हो गया है. समझौता हस्ताक्षर किए जाने वक्त राज्य के मुख्य सचिव और अन्य अधिकारी राज्य का प्रतिनिधित्व करने के लिये मौजूद थे.
पर्वतीय क्षेत्र में प्रमुख आवाज कम्युनिस्ट पार्टी आफ रिवाल्यूशनरी मार्कसिस्ट (सीपीआरएम) ने गोरखा जनमुक्ति मोर्चा पर आरोप लगाया कि समझौता का पक्ष बनके वह गोरखालैंड गठन के अपने वादे से मुकर गया है. मैदानी हिस्से आधारित अमरा बंगाली, जन जागरण और जन चेतना जैसे संगठनों ने इस समझौते का विरोध करने के लिए 48 घंटे बंद का आह्वान किया है. कुछ वर्गो को प्रस्तावित पर्वतीय प्राधिकरण का नाम ‘गोरखालैंड’ रखे जाने को लेकर आपत्ति है, इस पर ममता ने कहा था,‘शब्द बदलने से कोई बहुत फर्क नहीं पड़ता है. कुछ लोग इस मुद्दे पर राजनीति कर रहे हैं.’
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