प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने रोजगार की सरकारी स्कीमों के जरिए एड्स के मरीजों की सुध लेने की जरूरत पर बल दिया। विज्ञान भवन में एचआईवी एवं एड्स पर देश के जिला परिषदों के चेयरमैन एवं मेयरों के राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने एड्स के कार्यक्रम को मनेरगा से जोड़े जाने के प्रस्ताव का समर्थन करते हुए विभिन्न मंत्रालयों से एड्स-एचआईवी के प्रति संवेदनशील नीतियां एवं कार्यक्रम बनाने का आह्वान किया। इस सम्मेलन में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी भाग लिया। दोनों नेताओं ने एड्स के मरीजों की सुध लेने में नागरिक समाज के कार्यकर्ताओं की भूमिका की सराहना की।
एड्स के मरीजों के प्रति सामाजिक तिरस्कार भी एक बहुत बड़ी समस्या रही है। एड्स के मरीजों के लिए काम कर रहे सामाजिक संगठन इस तिरस्कार की भावना को खत्म करने की जद्दोजहद में भी लगे हुए हैं। समझा जाता है कि एड्स के मरीजों को रोजगार की नीतियों से जोड़े जाने के प्रधानमंत्री के बयान से उनकी सामाजिक स्वीकार्यता में खासा इजाफा होगा। प्रधानमंत्री ने यह सुनिश्चित करने की जरूरत पर बल दिया कि इस रोग से ग्रसित लोगों के साथ कोई भेदभाव न हो। ऐसा नहीं होना चाहिए कि कोई बच्चा इस संक्रमण की वजह से स्कूलों और कॉलेजों में दाखिले से वंचित रह जाए। इस रोग की वजह से किसी की नौकरी नहीं जानी चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि एचआईवी और एड्स के कार्यक्रमों एवं महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी स्कीम (मनेरगा) के बीच संबंध स्थापित किया जाना चाहिए। इस दो दिवसीय सम्मेलन को एचआईवी- एड्स पर सांसदों के फोरम ने आयोजित किया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि एचआईवी से संक्रमित लोगों, खास कर महिलाओं और बच्चों की पोषण संबंधी जरूरतों की सुध ली जानी चाहिए। इसके लिए उन्हें आईसीडीएस सहित अन्य विकास कार्यक्रमों में शुमार किया जाना चाहिए। उन्होंने नए संक्रमण में आई ५० प्रतिशत की कमी की सराहना करते हुए आगाह किया कि फिर भी सतर्कता में कोई कोताही नहीं होनी चाहिए।
प्रधानमंत्री ने एड्स कार्यक्रमों की सफलता में पंचायती राज संस्थाओं की महती भूमिका को रेखांकित किया। सोनिया गांधी ने भी एड्स नियंत्रण कार्यक्रमों में नागरिक समाज की सक्रिय पहल की सराहना की। इस मौके पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद ने कहा कि एड्स नियंत्रण में मिली भारी सफलता पर न्यूयॉर्क में जून में हुई संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में पूरी दुनिया के नेताओं ने भारत की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि हम अगले पांच सालों में यौन संबंधों की वजह से संक्रमण के फैलाव में ५० प्रतिशत की कमी लाने एवं बच्चों में इस तरह के संक्रमण के फैलाव को पूरी तरह से रोकने के लक्ष्य के प्रति बचनवद्ध हैं। आजाद ने भी समाज में एड्स के मरीजों के प्रति हिकारत के भाव को दूर करने का आह्वान किया।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें