शीला दीक्षित पर गुमराह करने का आरोप. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 19 जुलाई 2011

शीला दीक्षित पर गुमराह करने का आरोप.


लोकायुक्त ने दिल्ली की मुख्यमंत्री को राजीव रत्न आवास योजना में गरीबों को गुमराह करने का नैतिक तौर पर दोषी ठहराया है. लोकायुक्त मनमोहन सरीन ने सोमवार को मुख्यमंत्री को राजीव रत्न आवास योजना में गरीबों को गुमराह करने का नैतिक तौर पर दोषी ठहराकर कड़ा झटका दिया है. उन्होंने मामले की जांच रिपोर्ट राष्ट्रपति प्रतिभा सिंह पाटिल को भेजकर राष्ट्रपति से सिफारिश की है कि वह मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को भविष्य में इस तरह के कोरे वायदे करने की गलती न करने की हिदायत दें. 

लोक निर्माण मंत्री राजकुमार चौहान के खिलाफ दिये गये फैसले के बाद लोकायुक्त का यह फैसला दिल्ली सरकार के लिए दूसरा बड़ा झटका है. दिल्ली सरकार की राजीव रत्न आवास योजना से संबंधित एक याचिका की सुनवाई पूरी करते हुए लोकायुक्त ने अपनी सिफारिश के साथ जांच रिपोर्ट राष्ट्रपति को भेज दी है. उक्त याचिका अधिवक्ता सुनीता भारद्वाज की ओर से लोकायुक्त के समक्ष दायर की गई थी.  याचिका में कहा गया था कि वर्ष 2008 में दिल्ली विधानसभा चुनाव के ठीक पहले श्रीमती दीक्षित ने विभिन्न सभाओं और मीडिया के जरिए गरीब और मलिन बस्ती में रहने वाले लोगों को यह सब्जबाग दिखाया था कि राजीव रत्न आवास योजना के तहत 60 हजार मकान बनकर तैयार हैं, जो  उन्हें शीघ्र ही आवंटित कर दिए जाएंगे. याचिका में कहा गया था कि श्रीमती दीक्षित लोगों को गुमराह कर रही हैं.

लोकायुक्त ने इस शिकायत पर अक्टूबर 2009 में जांच शुरू की. शिकायतकर्ता का मुख्य आरोप था कि फ्लैट बनना तो दूर इनके लिए भूमि का अधिग्रहण तक भी नहीं हुआ है. श्रीमती दीक्षित ने इन आरोपों के खिलाफ यह दलील दी कि शिकायतकर्ता विपक्षी दल से संबंधित है और राजनीतिक कारणों से आरोप लगा रही हैं. मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि आवासों के लिए लोगों से आवदेन पत्र हासिल करते समय यह स्पष्ट रुप से उल्लेख किया गया था कि साठ हजार फ्लैट निर्माण करने की योजना है.

प्रशासन ने यह आवास बन जाने का दावा नहीं किया था. लोकायुक्त ने पक्ष-विपक्ष के तर्कों का आंकलन करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला कि मुख्यमंत्री ने जिस तरह से तथ्य लोगों के सामने रखे वह अस्पष्ट थे और उससे लोग गुमराह हो सकते थे. लोकयुक्त के अनुसार ऐसा आभास होता है कि मुख्यमंत्री का यह कदम राजनीतिक फायदे के लिए था. उन्होंने कहा कि यह मामला दो राजनीतिक दलों के बीच रस्साकशी का नहीं है बल्कि प्रशासन और गरीब व बेघर लोगों के मध्य का है.

सीधे-सादे लोग मुख्यमंत्री के बयान से इस भ्रम में आ गए कि उन्हें आवंटित करने के लिए आवास बनकर तैयार हैं. लोकायुक्त ने तीखी टिप्पणी की कि आवदेन पत्र में सरकार ने लोगों से सही और प्रामणिक जानकारी मांगी थी, जबकि स्वयं अपनी ओर से सही जानकारी नहीं दी. यह कथनी और करनी का अंतर है.  उन्होंने कहा कि यह समय कि मांग है कि लोग इस प्रकार के कृत्यों के खिलाफ उठ खडे़ हों और प्रबल जनमत तैयार करें. न्यायमूर्ति सरीन ने माना कि राजनीतिक नेताओं के चरित्र में इस तरह का बदलाव रातों रात नहीं आ सकता, लेकिन अधिकार प्राप्त संस्थानों का यह कर्तव्य बनता है कि वह सार्वजनिक जीवन से जुड़े व्यक्तियों के इस प्रकार के कृत्यों के बारे में सचाई बयान करें और सार्वजनिक तौर पर उसकी निंदा करें. 

राजीव रत्न आवास योजना में गरीबों को सस्ते घर देने का सपना दिखाकर गुमराह करने संबंधी लोकायुक्त के फैसले पर मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने टिप्पणी करने से इनकार किया है.  लोकायुक्त मनमोहन सरीन द्वारा राजीव रत्न आवास योजना से संबंधित एक याचिका के फैसले में मुख्यमंत्री को नैतिक रूप से दोषी ठहराये जाने के बाद आज इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री मीडिया के सवालों से घिर गई.पत्रकारों ने जब मुख्यमंत्री के समक्ष लोकायुक्त के फैसले का जिक्र करते हुए इस बारे में सवाल किया तो मुख्यमंत्री पहले तो टाल गई लेकिन जब यही सवाल दोबारा उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अभी उन्हें लोकायुक्त के फैसले की कापी नहीं मिली है. लोकायुक्त के फैसले को पढ़ने के बाद ही वह इस पर कुछ कह सकेंगी. उन्होंने कहा कि राजीव रत्न आवास योजना के तहत बड़ी संख्या में मकान बनकर तैयार हैं और उन्हें आवंटित करने की प्रक्रिया जारी है. 

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