योग गुरु बाबा रामदेव के निकट सहयोगी आचार्य बालकृष्ण फर्जी पासपोर्ट मामले में और फंसते जा रहे हैं। उन्होंने पासपोर्ट के लिए संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के जिन प्रमाण पत्रों का सहारा लिया वे फर्जी हैं। सीबीआई द्वारा कराए गए सत्यापन में स्पष्ट हो गया कि जिन अनुक्रमांकों से पूर्व मध्यमा और शास्त्री के प्रमाण पत्र जारी कराए गए हैं वे बुलंदशहर के एक संस्कृत महाविद्यालय के दो छात्रों के नाम के हैं। उधर, आचार्य बालकृष्ण के पासपोर्ट संबंधी मामले की जांच कर रही हरिद्वार पुलिस ने निगम पहुंचकर कार्यालय से गायब दस्तावेजों के बारे में पड़ताल शुरू की। जिन कर्मियों के पास जन्म और मृत्यु कार्यालय का दायित्व रहा है उनसे भी पूछताछ की गई।
बालकृष्ण के शैक्षणिक दस्तावेजों की जांच के सिलसिले में दिल्ली से सीबीआई इंस्पेक्टर योगेंद्र सिंह शुक्रवार की सुबह विवि पहुंचे। उन्होंने कुलपति प्रो। बिंदा प्रसाद मिश्र से मुलाकात की। कुलपति ने कुल सचिव डा. रजनीश कुमार शुक्ल और जांच समिति के सदस्य डा. सूर्यकांत यादव को प्रमाण पत्रों के सत्यापन के लिए निर्देशित किया। करीब डेढ़ घंटे तक विभिन्न पहलुओं की जांच के बाद बालकृष्ण के नाम से वर्ष 1991 में पूर्व मध्यमा और वर्ष 1996 में जारी शास्त्री की डिग्री फर्जी करार दी गई।
जिन अनुक्रमांकों से बालकृष्ण की पूर्व मध्यमा और शास्त्री की डिग्रियां हैं वे बुलंदशहर के राधाकृष्ण संस्कृत महाविद्यालय से बनवाई गई हैं। इन अनुक्रमांकों के आगे दो अलग-अलग छात्रों के नाम विश्वविद्यालय के अभिलेख में दर्ज हैं। सीबीआई इंस्पेक्टर द्वारा सत्यापन के लिए उपलब्ध कराई गई डिग्रियों पर बरेली के क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी की मुहर भी लगी है। इससे साफ है कि इन प्रमाण पत्रों का उपयोग पासपोर्ट बनवाने में किया गया। कुलपति प्रो. बिंदा प्रसाद मिश्र ने स्पष्ट किया कि दोनों ही डिग्रियां विश्वविद्यालय द्वारा निर्गत नहीं हैं।
बालकृष्ण के शैक्षणिक दस्तावेजों की जांच के सिलसिले में दिल्ली से सीबीआई इंस्पेक्टर योगेंद्र सिंह शुक्रवार की सुबह विवि पहुंचे। उन्होंने कुलपति प्रो। बिंदा प्रसाद मिश्र से मुलाकात की। कुलपति ने कुल सचिव डा. रजनीश कुमार शुक्ल और जांच समिति के सदस्य डा. सूर्यकांत यादव को प्रमाण पत्रों के सत्यापन के लिए निर्देशित किया। करीब डेढ़ घंटे तक विभिन्न पहलुओं की जांच के बाद बालकृष्ण के नाम से वर्ष 1991 में पूर्व मध्यमा और वर्ष 1996 में जारी शास्त्री की डिग्री फर्जी करार दी गई।
जिन अनुक्रमांकों से बालकृष्ण की पूर्व मध्यमा और शास्त्री की डिग्रियां हैं वे बुलंदशहर के राधाकृष्ण संस्कृत महाविद्यालय से बनवाई गई हैं। इन अनुक्रमांकों के आगे दो अलग-अलग छात्रों के नाम विश्वविद्यालय के अभिलेख में दर्ज हैं। सीबीआई इंस्पेक्टर द्वारा सत्यापन के लिए उपलब्ध कराई गई डिग्रियों पर बरेली के क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी की मुहर भी लगी है। इससे साफ है कि इन प्रमाण पत्रों का उपयोग पासपोर्ट बनवाने में किया गया। कुलपति प्रो. बिंदा प्रसाद मिश्र ने स्पष्ट किया कि दोनों ही डिग्रियां विश्वविद्यालय द्वारा निर्गत नहीं हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें