सुप्रीम कोर्ट ने सिक्किम के मुख्य न्यायधीश जस्टिस पीडी दिनाकरन की उस याचिका को ख़ारिज कर दिया है, जिसमें उनके कथित भ्रष्टाचार और ग़लत आचरण के लिए बनाई गई एक समिति की जाँच पर रोक लगाने की मांग की गई थी।
न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी की अध्यक्षता वाली पीठ ने हालांकि न्यायमूर्ति दिनकरन की उस अर्जी को विचार के लिए स्वीकार कर लिया, जिसमें वरिष्ठ अधिवक्ता पीपी राव को जांच समिति से हटाने की मांग की गई है।
पीठ ने राज्यसभा के सभापति और उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी से राव के स्थान पर किसी और न्यायविद को शामिल कर जांच समिति का पुनर्गठन करने को कहा। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट कर दिया कि न्यायमूर्ति दिनाकरन को उन्हीं आरोपों का सामना करना होगा जो तीन सदस्यीय समिति ने उनके खिलाफ तय किए हैं। इस समिति में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति आफताब आलम, कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे एस खेहर और वरिष्ठ अधिवक्ता राव हैं। राज्यसभा के सभापति अंसारी ने जनवरी 2010 में तीन सदस्यीय समिति का गठन कर दिया था ताकि उच्च सदन द्वारा इससे संबंधित प्रस्ताव के नोटिस में उल्लिखित 12 आरोपों की जांच की जा सके।
सुप्रीम कोर्ट ने 29 अप्रैल को समिति द्वारा जांच करने पर रोक लगा दी थी, क्योंकि न्यायमूर्ति दिनकरन ने यह आशंका व्यक्त की थी कि समिति में राव की मौजूदगी के कारण जांच भेदभावपूर्ण तरीके से हो सकती है। न्यायमूर्ति दिनकरन ने कहा था कि समिति अपने अधिकार क्षेत्र से परे चली गई है। न्यायमूर्ति दिनकरन ने महाभियोग कार्यवाही को इस आधार पर चुनौती दी थी कि समिति ने अतिरिक्त आरोप तय कर लिए हैं और वह स्वतंत्र तरीके से जांच कर उनके खिलाफ सामग्री एकत्रित कर रही है। न्यायमूर्ति दिनकरन ने कहा कि कानून के तहत ऐसा करने की इजाजत नहीं है। उन्होंने राव को जांच समिति से हटाने की मांग की।
न्यायाधीश के खिलाफ भूमि हथियाने, बेहिसाब संपत्ति इकट्ठा करने और असंगत न्यायिक आदेश जारी करने के आरोप लगे हैं। इन आरोपों के बाद सुप्रीम कोर्ट में उनकी पदोन्नति को रोक दिया गया था। न्यायमूर्ति दिनकरन ने दलील दी थी कि समिति ने राज्यसभा में लाए गए प्रस्ताव में उल्लिखित बिंदुओं से भी परे जाकर जांच करते हुए अपना दायरा बढ़ा लिया। उन्होंने राव को इस आधार पर हटाने की मांग की कि अधिवक्ता उनके खिलाफ भेदभाव कर सकते हैं।
न्यायमूर्ति दिनकरन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल अमरेंद्र सरण ने कहा कि राव नवंबर 2009 में बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा पारित उस प्रस्ताव का हिस्सा थे जिसमें तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति केजी बालाकृष्णन को दिनकरन को सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति नहीं देने का अनुरोध किया गया था। सरन ने दलील दी कि राव उस प्रतिनिधिमंडल में शामिल थे, जिसने तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश से मुलाकात की थी और न्यायमूर्ति दिनकरन की पदोन्नति के खिलाफ ज्ञापन दिया था।
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