तिहाड़ के कैदियों का जेल परिसर में ही साक्षात्कार और उन्हें नौकरी के लिये चुने जाने से उत्साहित जेल प्रशासन ने बुधवार को दूसरे दौर का साक्षात्कार और कैंपस प्लेसमेंट का आयोजन किया। आमतौर पर यह माना जाता है कि कैदियों को रिहा होने के बाद नौकरी नहीं मिलती है। इसी के मद्देनजर तिहाड़ जेल प्रशासन ने एक नया अभियान शुरू किया है, इसके तहत कंपनियों को कैंपस प्लेसमेंट के लिए तिहाड़ परिसर में बुलाया जाता है, जहां वे कैदियों का साक्षात्कार लेती हैं। साक्षात्कार में सफल अभ्यार्थियों को रिहा होने के बाद कंपनी में नौकरी मिल जाती है।
इस अभियान के तहत फरवरी माह में भी जेल परिसर में विभिन्न कंपनियों ने कैदियों का साक्षात्कार लिया था। इनमें से 43 कैदियों को इसके तहत नौकरी मिली थी। अब तिहाड़ जेल में कैदियों के साक्षात्कार का दूसरा दौर आयोजित हुआ है।
तिहाड़ जेल के प्रवक्ता ने बताया कि हम पात्र कैदियों के लिए दूसरे चरण का कैंपस साक्षात्कार आयोजित कर रहे हैं। नौ कंपनियों ने हमारे कैदियों को रिहा होने के बाद नौकरी देने पर सहमति जताई है। इनमें हल्दीराम, वेदांता समूह, जीआई पाइप्स, राडो सिक्योरिटी और सिबरा शामिल हैं। पेशेवर रूप से पात्रता पूरी करने वाले 80 कैदी साक्षात्कार में शामिल होंगे। प्रवक्ता ने बताया कि दस कंपनियों ने हाल में कुछ रिहा होने वाले कैदियों को वरिष्ठ पदों पर नियुक्ति दी है। इनमें से कुछ को तो सालाना 5 से 6 लाख रुपये का पैकेज मिल रहा है।
पहले चरण के नियुक्ति अभियान की सफलता के बाद कई कंपनियों ने हमसे संपर्क किया है। उन्होंने हमारे कैदियों को नौकरी देने की इच्छा जताई है। तिहाड़ जेल के महानिदेशक नीरज कुमार ने कहा कि कैंपस नियुक्ति का विचार जेल अधीक्षक संख्या तीन एम के द्विवेदी का है। द्विवेदी ने कहा कि बहुत कम कैदी इग्नू के पाठ्यक्रमों में अपना नामांकन दर्ज कराने में रुचि लेते हैं। इन कैदियों का कहना है कि यह बेकार है, क्योंकि इससे उन्हें नौकरी पाने में मदद नहीं मिलती। मैंने फैसला किया कि मैं शिक्षा को बेकार नहीं जाने दूंगा। इसलिए कई कंपनियों से बातचीत शुरू की। इसमें समय लगा, पर हमें सफलता मिल गई। उन्होंने बताया कि यह बात देखने में आई है कि कैदियों में सुधार और उन्हें पेशेवर दृष्टि से पात्र बनाने के बावजूद रिहा होने के बाद उनकी आपराधिक पृष्ठभूमि को देखकर कोई नौकरी देने के लिए तैयार नहीं होता। इसलिए हमने प्लेसमेंट अभियान शुरू करने का फैसला किया। द्विवेदी ने बताया कि पहले चरण के तहत कई बड़ी कंपनियों मसलन अग्रवाल पैकर्स, जिंदल स्टील और फ्लेक्स शूज ने हमारे कैदियों को नौकरी दी थी।
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