ओडिशा में भगवान जगन्नाथ की सालाना रथयात्रा के दौरान अलग-अलग घटनाओं में दो नाबालिग बच्चों सहित तीन लोगों की मौत हो गई, जबकि दो बच्चे घायल हो गए।
सुंदरगढ़ जिले के पुरूनापानी गांव में रथ के पहिए से एक 10 साल का लड़का घायल हो गया। लड़के को इलाज के लिए स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है। ओडिशा में पुरी के जगन्नाथ मंदिर में सालाना रथयात्रा के अवसर पर रविवार को लाखों श्रद्धालु और पर्यटक वहां पहुंचे।
मंदिर के देवताओं को रथ पर शोभायात्रा के रूप में ले जाने को यहां ‘पहांडी’ कहा जाता है। मंदिर के एक अधिकारी ने बताया कि पहांडी यहां सुबह 8.35 बजे शुरू हुई। इस रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा 12वीं सदी के जगन्नाथ मंदिर से दो किलोमीटर दूरी पर बने गुंडीचा मंदिर जाते हैं। उन तीनों को लकड़ी के भव्य रथों में सवार करवाया जाता है और भक्त उन रथों को गुंडीचा मंदिर तक खींचकर ले जाते हैं। भक्त मंत्रोच्चारण के बीच रस्सियों के सहारे रथ को खींचकर ले जाते हैं। इस दौरान पारम्परिक नृत्य किए जाते हैं और वाद्य बजाए जाते हैं।
भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के विग्रहों को मंदिर से रथों में लाने की रस्म सुबह 8.35 बजे शुरू हो गई और रथों को खींचने की रस्म दोपहर बाद तीन बजे शुरू हुई। यह त्योहार नौ दिन तक चलता है और आखिरी दिन तीनों देवता अपने घर जगन्नाथ मंदिर लौट आते हैं। उनकी वापसी की यात्रा को ‘बहुधा’ कहा जाता है। रथारूढ़ देवताओं की झलक पाना बहुत शुभ समझा जाता है। राज्य सरकार ने किसी भी अप्रिय घटना को टालने के लिए सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए हैं। कानून एवं व्यवस्था बरकरार रखने के लिए हजारों पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। विभिन्न स्थानों पर क्लोज सर्किट कैमरे लगाए गए हैं।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि खोजी कुत्ते, बम निरोधक दस्ते और अग्निशमन गाड़ियां तैनात की गई हैं। ओडिशा, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से 56 विशेष रेलगाड़ियां चलाई गई हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें