गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने युवाओं से आह्वान किया कि वे जन लोकपाल बिल को लेकर एक बार फिर से जन आंदोलन करें। आंखों में आंसू लिए हजारे ने कहा कि अगर सरकार 1 अगस्त को संसद में कमजोर लोकपाल बिल पेश करती है तो युवा एक बार फिर आंदोलन की राह पकड़ लें। उन्होंने कहा कि सरकार को जगाने के लिए जनता को जागना होगा।
हजारे ने यह बात ‘क्या सरकार जन आंदोलनों से डरती है?’ विषय पर व्याख्यान देते हुए कहीं।वहीं, सिविल सोसाइटी की अहम सदस्य और अन्ना की सहयोगी किरण बेदी ने कहा है कि अन्ना हजारे की टीम को यह पता नहीं है कि संसद में किस तरह का ड्राफ्ट पेश किया जाएगा। उनके मुताबिक टीम अन्ना को यह पता नहीं है कि किस तरह का लोकपाल बिल देश की संसद में मंजूरी के लिए पेश होगा।
हजारे ने कहा कि जन आंदोलन को दबाने के लिए सरकार ने उनके खिलाफ ड्राफ्टिंग कमिटी बनते ही अप्रैल में मुहिम छेड़ दी। गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, 'सरकार ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप साबित करने के लिए लोगों को लगाया। लेकिन वे कामयाब नहीं हो पाए। मैं अब भी पाकसाफ हूं।' उन्होंने यूपीए सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए कहा, 'इस सरकार की नीयत ठीक नहीं है। सरकार ने शांति भूषण और प्रशांत भूषण के खिलाफ झूठे आरोप लगाए। सरकार ने अरविंद केजरीवाल पर भी हमले किए।' हजारे ने जानकारी दी कि उनका आंदोलन 9 अगस्त से शुरू होगा और वह अप्रैल में हुए आंदोलन की तर्ज पर होगा।
दूसरी तरफ, इसी कार्यक्रम में मौजूद पूर्व आईपीएस अफसर किरण बेदी ने कहा, संसद में किस तरह का लोकपाल बिल मंजूरी के लिए पेश होगा, यह राजनीतिक दलों को भी नहीं पता है। हमें यह नहीं पता है कि कैबिनेट ने कौन सा ड्राफ्ट मंजूर किया है। इस बारे में सिविल सोसाइटी और कैबिनेट के बीच कोई बातचीत नहीं हुई है। बेदी ने यह भी कहा कि उनसे हमेशा यह सवाल पूछा जाता है कि लोकपाल बिल का सरकारी ड्राफ्ट कांग्रेस ने बतौर पार्टी बनाया है या फिर सरकार के पांच मंत्रियों ने।
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