अमरीका में अधिकारियों ने पाकिस्तान के दो कथित एजेंटों के ख़िलाफ़ कश्मीर मामले में लॉबिंग के लिए ग़ैर क़ानूनी तरीक़े से पैसे लगाने का मामला दर्ज किया है. इन दोनों पर आरोप है कि उन्होंने अमरीका में कश्मीरी आंदोलन को बढ़ावा देने के लिए ग़ैर क़ानूनी तरीक़े से लाखों डॉलर लगाए.
अमरीकी ख़ुफ़िया एजेंसी एफ़बीआई के प्रभारी सहायक निदेशक जेम्स मैकजंकिन ने एक लिखित बयान में कहा- जो विदेशी सरकारें ग़ैर पंजीकृत एजेंटों के माध्यम से अमरीका को प्रभावित करने की कोशिश करती है, वे हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा को ख़तरे में डालती हैं.
अमरीका के न्याय मंत्रालय ने सैयद ग़ुलाम नबी फ़ई और ज़हीर अहमद के ख़िलाफ़ साज़िश रचने के आरोप लगाए हैं. दोषी पाए जाने पर दोनों को पाँच साल तक क़ैद की सज़ा हो सकती है. बासठ वर्षीय फ़ई अमरीकी नागरिक हैं और वर्जीनिया में रहते हैं. उन्हें मंगलवार को पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया है. उन्हें अदालत में पेश किया गया और अदालत ने उन्हें गुरुवार को सुनवाई तक के लिए जेल भेज दिया. 63 वर्षीय ज़हीर अहमद भी अमरीकी नागरिक हैं. माना जा रहा है कि वे इस समय पाकिस्तान में हैं.
सैयद ग़ुलाम नबी फ़ई कश्मीरी अमरीकी परिषद के कार्यकारी निदेशक हैं. कश्मीरी अमरीकी परिषद को कश्मीर सेंटर भी कहा जाता है. अमरीकी अधिकारियों का मानना है कि ये केंद्र पाकिस्तानी सरकार के तत्वों की ओर से संचालित किए जाते हैं, जिनमें पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई भी शामिल है. फ़ई पर आरोप है कि उन्होंने राजनीतिक प्रचार-प्रसार के लिए पैसे दिए, अख़बारों में लेख लिखे, संसदीय दौरे का आयोजन किया और साथ ही व्हाइट हाउस और विदेश मंत्रालय के अधिकारियों से मिले भी. कोर्ट में दाख़िल दस्तावेज़ के मुताबिक़ फ़ई को पाकिस्तान सरकार की ओर से हर साल पाँच लाख से लेकर सात लाख डॉलर तक दिए गए. लेकिन अमरीका स्थित पाकिस्तानी दूतावास ने बयान जारी करके कहा है कि सरकार को इस बारे में कोई जानकारी नहीं है
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