सैनिक सहायता में कटौती का स्वागत. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 11 जुलाई 2011

सैनिक सहायता में कटौती का स्वागत.


 भारत के विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने पाकिस्तान को अमरीकी की ओर से मिलने वाली सैनिक सहायता में कटौती का स्वागत किया है. पत्रकारों के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को ज़्यादा हथियार मिलने से क्षेत्रीय असंतुलन पैदा हो सकता था.

उन्होंने कहा, "भारत और पाकिस्तान के बीच ख़ास परिस्थितियों के मद्देनज़र भारत हमेशा ये कहता रहा है कि अमरीका अगर इस क्षेत्र को ज़्यादा सशस्त्र करेगा, तो इससे क्षेत्रीय असंतुलन बिगड़ सकता है. उस स्तर तक भारत अमरीका के फ़ैसला का स्वागत करता है."

 पाकिस्तानी सेना ने कहा है कि अतंरराष्ट्रीय सहायता के बगैर भी वो आतंकवाद और चरमपंथ से निपटने में सक्षम है. अमरीका ने घोषणा की है कि वो पाकिस्तान को दी जाने वाली 80 करोड़ डॉलर की सैनिक सहायता रोक रहा है और पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल अतहर अब्बास ने ये बयान उसी की प्रतिक्रिया के तौर पर दी है.

 कुछ दिन पहले वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों की एक बैठक के बाद एक बयान जारी किया गया था जिसमें सेनाध्यक्ष जनरल अशफ़ाक़ कियानी ने कहा था कि पाकिस्तान को दी जाने वाली सैनिक सहायता को असैनिक सहायता में बदल दिया जाए.”  सेना चाहती है कि अमरीका से जो उसे सहायता मिल रही है, वह क़बायली इलाक़े के आर्थिक विकास पर ख़र्च की जानी चाहिए और सेना को इसकी ज़रूरत नहीं है.  सेना ने स्वात घाटी और दक्षिण वज़ीरिस्तान में सैन्य अभियान बिना किसी अतंरराष्ट्रीय सहायता से किए हैं और इसलिए सेना आतंकवाद और चरमपंथ से निपटने में सक्षम है.

 अमरीका ने कहा था कि वह पाकिस्तान को 80 करोड़ डॉलर की सैनिक सहायता रोक रहा है. ये अमरीका की ओर से पाकिस्तान को मिलने वाली सालाना सैनिक सहायता का एक तिहाई है. व्हाइट हाउस के चीफ़ ऑफ़ स्टॉफ़ बिल डेली ने एबीसी के दिस वीक कार्यक्रम में बताया था कि पाकिस्तान ने कुछ ऐसे क़दम उठाए हैं, जिससे अमरीका को कुछ सहायता राशि पर रोक लगाने की वजह मिली है. उन्होंने कहा था कि इस साल मई में अमरीकी सेना ने पाकिस्तान में कार्रवाई करके अल क़ायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को मार दिया था, इससे पाकिस्तान के लोगों में 'काफ़ी पीड़ा' थी. बिल डेली ने कहा था कि पाकिस्तान के साथ अमरीका के रिश्ते पर काफ़ी काम करने की आवश्यकता है. उन्होंने ये स्वीकार किया था कि पाकिस्तान आतंकवाद के ख़िलाफ़ युद्ध में अमरीका का प्रमुख सहयोगी रहा है और पाकिस्तान ख़ुद भी आतंकवाद से पीड़ित रहा है.

दो मई को ऐबटाबाद में अमरीकी सैनिकों ने कार्रवाई कर अल क़ायदा के प्रमुख ओसामा बिन लादेन को मार दिया था. अमरीकी यह कार्रवाई पाकिस्तान को बिन जानकारी दिए की थी जिसपर पाकिस्तानी सरकार ने कड़ी आपत्ति जताई थी. उस घटना के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में काफ़ी तनाव हो गया है.

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