जनवादी लेखक संघ (झारखण्ड) की काव्य गोष्ठी. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 11 जुलाई 2011

जनवादी लेखक संघ (झारखण्ड) की काव्य गोष्ठी.

दिनांक 09 जुलाई 2011 को आर्यावर्त की प्रबंध सम्पादक आदरणीया कुसुम ठाकुर जी के निवास स्थान विजया हेरिटेज, कदमा, जमशेदपुर में जनवादी लेखक संघ के वारिष्ठ सदस्य और संरक्षक श्री रघुनाथ प्रसाद की अध्यक्षता में एक सफल काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ जिसका कुशल संचालन शहर के प्रसिद्ध गज़लकार श्री उदय प्रताप हयात ने किया। बरसात का सुहाना मौसम जो धरती पर नव-जीवन, नये सृजन का कारक है, बाहर बारिश की रिमझिम बूँदें और कुसुम जी के घर के भीतर काव्य की फुहारें। क्या कहने उस दृश्य के। एक से एक रचनाओं का पाठ हुआ जिसे सुनकर कविगण समेत श्रोताओं ने झूमकर आनन्द उठाया।

सभा की शुरूआत कुसुम जी के पति स्वर्गीय लल्लन प्रसाद ठाकुर - जो एक प्रसिद्ध नाटककार, रमगकर्मी, साहित्यकार थे - को श्रद्धापूर्वक याद किया गया। श्री श्यामल सुमन ने स्वर्गीय ठकुर के व्यक्तित्व और कृतित्व पर संक्षिप्त जानकारी देते हुए बताया कि इतने बरस होने के बाद भी आज भी जब श्री ठाकुर के नाटकों का मंचन होता है तो लोगों को लगता है कि वो आज की ही बात है। वो एक ऐसे कालजयी रचनाकार थे - खासकर मैथिली भाषा के - जिन्होंने कई सिनेमा और धारावाहिक में भी काम किया। कुसुम जी को उनका जीवन संगिनी बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ अतः लोगों के बिशेष आग्रह पर उन्होंने भी अपने संस्मरण बताये। कुसुम जी से ही ज्ञात हुआ कि स्वर्गीय ठाकुर का राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध नाटक "लोंगिया मिरचाय" का लेखन उन्होंने बस एक रात में की थी। ऐसे महान रचनाकार और संस्कृति-कर्मी को याद करके विनम्र श्रद्धांजलि देते हुए काव्य-गोष्टी की यात्रा आगे बढ़ी।
इस गोष्ठी के आकर्षण के केन्द्र थे जनवादी लेखक संघ सिंहभूम के विद्वान अध्यक्ष और झारखण्ड राज्य जनवादी लेखक संघ के उपाध्यक्ष श्री नन्द कुमार "उन्मन"। समय समय पर उन्होंने सलाह के साथ साथ साहित्यिक चुटकी लेकर वातावरण को खुशनुमा बना दिया। ७७ बर्षीय श्री उन्मन ने जब सस्वर काव्य पाठ किया तो कई आँखें नम होती हुईं दिखीं।


"को बड़ छोट कहत अपराधू" वाली बात वहाँ साक्षात चरितार्थ हो रही थी। सुजय भट्टाचार्य, एक युवा रचनाकार जिन्होंने एक आशावादी रचना प्रस्तुत की जिसमे नए सपनों की तलाश थी कि -

जिंदगी में रंग भरता हूँ
निहारता हूँ अपनी छवि उसमे

अशोक शुभदर्शी जी कि खासियत है कि वो छोटी छोटी नयी कविताओं के माध्यम से बड़ी बड़ी बात कह जाते हैं - उनहोंने कहा कि -

मैं गरीबी हूँ
जब मुद्दा बनती हूँ
मुझे फुला दिया जाता है

कुसुम जी ने मैथिली और हिंदी साहित्य कि दुनिया में एक अलग मुकाम हासिल किया है - लगातार पठन, पाठन और लेखन के माध्यम से उनहोंने यह दूरी तय की है जो अभी अनवरत जारी है - सभागार तालियों से उस समय गूँज उठा जब कुसुम जी ने ये कहा कि-
जब हुई जुदाई बगिया से कुछ कुसुम गए देवालय तक
कुछ को सुन्दर सी परियों ने जुड़े में सजाना सीख लिया

कुसुम जी की रचना खूब सराही गयी.

राजदेव सिन्हा जी एक अवकाश प्राप्त प्रधानाध्यापक जिनका हिंदी और अंगरेजी का शब्द-सामर्थ्य देखते ही बनता है, अपने आत्म बोध शीर्षक के माध्यम से अपनी अनुभूतियों को यूँ उकेरा कि -

किया समझौता मै ने
अपनों से

फिर गीत गज़ल की दुनिया में खूब यश बटोरने वाले श्यामल सुमन जी ने सस्वर गज़ल का पाठ किया जिसे लोगों ने करतल ध्वनि से सराहा। श्यामल सुमन कहते हैं कि-
धुल गए मैल सभी दिल के अश्क बहते ही
हजारों लोगों को नित गंगा नहाना क्यों है

जब सधे सुर की बात हो तो फिर ज्योत्सना अस्थाना जी को भूलना मुश्किल है - उनहोंने अपने सस्वर मेघ गीत के माध्यम से वातावरण क़ी अनुकूलता में चार चाँद लगा दिया -

रिम झिम गीत सुनाये बदरवा

यह एक सुखद संयोग है क़ी ज्योत्स्ना जी के पति श्री शैलेन्द्र अस्थाना भी एक सफल साहित्यकार हैं - ऐसा संयोग बहुत कम मिलता है कि पति पत्नी दोनों साहित्य सेवा में लगे हुए हों - उनहोंने कहा कि -

संभाल लेती हैं
बुरे वक्त से
लड़कियां

जब श्री नन्द कुमार 'उन्मन' कि बारी आयी तो तालियों कि गडगडाहट के बीच वो काव्य पाठ के लिए उठे - उन्मन जी को सुनना एक सुखद अनुभव होता है किसी के लिए - एक सधे हुए रचनाकार, समीक्षक, आलोचक और जो भी कहा जाय - साहित्य कि प्रायः सभी विधाओं के मर्मज्ञ ने जब सस्वर काव्य पाठ किया तो कई आँखें भींग गईं - वे कहते हैं कि -
यह प्रमेय सा जीवन , काली त्रिज्या सी आशा
भंवर बनाती खुद को, लहरों की यह अभिलाषा

श्री उदय प्रताप हयात ने तो पूरी गोष्ठी का कुशल संचालन किया ही लेकिन जब करतल ध्वनि के बीच वो काव्य पाठ करने उठे तो वातावारण मुग्ध हो गया खासकर जब उन्होंने अपनी ये गज़ल पढ़ी कि-
तन्हाईयों से दिल्लगी अपने मकान में
हम हो गए हैं अजनबी अपने मकान में

और काव्य गोष्ठी कि परम्परा के अनुसार सबसे अंत में सभा के अध्यक्ष श्री रघुनाथ प्रसाद ने काव्य पाठ किया - शब्दों के कुशल चितेरे श्री प्रसाद ने कहा कि -

झील सी ठहरी नदी में , किसने फिर कंकड़ उछला

सभा के अन्त में श्री श्यामल सुमन ने धन्यवाद ज्ञापन किया और अध्यक्ष की अनुमति से सभा की कार्यवाही की समाप्ति की घोषणा हुई इस वादे के साथ कि हम लोग फिर जल्द ही मिलेंगे।

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