दिल्ली की एक अदालत ने सीबीआई को राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान टीएसआर घोटाले के उन तीन आरोपियों की संपत्ति कुर्क करने का निर्देश दिया जो अपने खिलाफ मामला दर्ज होने के बाद से फरार हैं।
अदालत ने दो निर्माण कंपनियों के कर्ताधर्ता़ पुरुषोत्तम देव आर्य, अनिल मदान और एके रेड्डी की संपत्तियों को कुर्क करने का निर्देश दिया, जिनकी अग्रिम जमानत अर्जियां दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित हैं। अदालत ने उन्हें 23 मई को भगोड़ा अपराधी घोषित किया था। विशेष सीबीआई न्यायाधीश तलवंत सिंह ने कहा कि मेरे विचार से आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 82 के तहत सभी कानूनी जरूरतों का पालन किया गया। सीआरपीसी में उन्हें अदालत में नहीं आने की अनुमति देने के लिए कोई प्रावधान नहीं है। सीआरपीसी की धारा 83 संपत्ति की कुर्की के तहत प्रक्रिया शुरू की जाए।
अदालत ने सीबीआई को आर्य, मदान तथा रेड्डी की चल और अचल संपत्तियों की ब्योरेवार सूची शुक्रवार तक जमा करने का निर्देश दिया। देव और आर्य फरीदाबाद की जेम इंटरनेशनल के कर्ताधर्ता हैं, जो स्विस टाइमिंग के ठेके में शामिल थी। दोनों ने बाद में टीएसआर के ठेके में हैदराबाद के एके रेड्डी की एकेआर कंस्ट्रक्शन को शामिल कर लिया। उच्च न्यायालय की ओर से किसी भी विपरीत फैसले की स्थिति में अदालत के सामने समर्पण और निजी तौर पर पेश होने से छूट के उनके शपथपत्र को भी खारिज कर दिया गया।
अदालत ने कहा कि आरोपियों को उन्हें भगोड़ा अपराधी घोषित करने के आदेश के जारी होने की तारीख के बाद से 14 जुलाई को अदालत के समक्ष पेश होने के लिए 30 दिन का स्पष्ट नोटिस था और वे जानबूझकर नहीं आये। इस संबंध में सीबीआई निरीक्षक और जांचकर्ता अधिकारी के बयान भी दर्ज किये गये।
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